गांधी के भारत लौटने से पहले ही कई बार माफी मांग चुके थे सावरकर: रिपोर्ट
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नई दिल्ली. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने बीते दिनों दावा किया था कि वीर सावरकर (Veer Savarkar) ने राष्ट्रपति महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के कहने पर अंग्रेजों से माफी मांगी थी. इसके बाद उस पर बहस और आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया. भाजपा, कांग्रेस, शिवसेना समेत कई दल मैदान में कूद पड़े और अपने-अपने दावे करने लगे. सोशल मीडिया साइट्स पर भी यूजर्स ने अपनी राय रखी. हालांकि एक अखबार की रिपोर्ट में दावा किया है कि गांधी ने सावरकर को अंग्रेजों से माफी मांगने को नहीं कहा था. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सावरकर के भाई को महात्मा गांधी ने चिट्ठी लिखी थी. रिपोर्ट के अनुसार साल 1920 में लिखी इस चिट्ठी की एक लाइन को प्रस्तुत करके यह बताने की कोशिश की गई कि सावरकर ने गांधी के कहने पर अंग्रेजों से माफी मांगी थी. रिपोर्ट में लिखा गया है कि ऐसा करना गैर जरूरी और गुमराह करना है.
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि सावरकर ने माफी की पहली चिट्ठी साल 1911 में अंडमान से लिखी थी. ऐसी करीब 6 माफीनामे सावरकर ने उस दशक में पोर्ट ब्लेयर जेल सभी लिखे थे. सावरकर ने जब कुछ शुरुआती चिट्ठियां लिखीं थीं उस समय गांधी भारत में नहीं बल्कि दक्षिण अफ्रीका में थे. वह साल 1915 में भारत लौटे. पहले के माफीनामों की तरह ही सावरकर ने गांधी के भारत लौटने के बाद भी माफीनामे लिखे. उन्होंने साल 1928 में प्रकाशित मराठी किताब- जेल में मेरा जीवन में भी इसका जिक्र किया और स्वीकार किया है कि उन्होंने अंग्रेजों के समक्ष अपनी रिहाई के लिए दया याचिकाएं लिखीं. हालांकि इसमें कहीं भी महात्मा गांधी का जिक्र नहीं है.
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर रक्षा मंत्री ने ऐस बयान क्यों दे दिया? दअरसल, रक्षा मंत्री ने महात्मा गांधी द्वारा साल 1920 में लिखी गई चिट्ठी में लिखी एक लाइन के हवाले से यह दावा किया. साल 1918-19 के दौरान अंग्रेजों ने रॉयल एमनेस्टी (शाही माफी) का ऐलान किया जिसके तहत कालापनी की सजा पाए लोगों को माफी दी जानी थी. इस बार भी सावरकर ने दया याचिका लिखी. हालांकि अंग्रेजों ने सावरकर और उनके भाई बाबारव को ‘बहुत खतरनाक’श्रेणी में रखा हुआ था.
गांधी ने सावरकर के भाई से क्या कहा था?
जब शाही माफी पर चर्चा हो रही थी इसी दौरान सावरकर ने भाई नारायण ने महात्मा गांधी को चिट्ठी लिखी. नारायण ने गांधी को लिखी चिट्ठी में कहा था क्या उनके भाईयों की रिहाई के लिए कुछ हो सकता है. जिसके जवाब में गांधी ने कहा था कि सावरकर भाईयों को एक ‘संक्षिप्त याचिका’ लिखनी चाहिए जिसमें यह स्पष्ट लिखा हो कि उनके ‘क्रांतिकारी काम’ पूरी तरह से राजनीतिक हैं.
सावरकर ने पहले ही कई बार अंग्रेजों को माफीनामा लिखा हुआ था. इसमें उन्होंने कहा था कि अगर उन्हें जेल से रिहा किए जाते हैं तो सहयोग करते रहेंगे. हालांकि सावरकर से पहले भी कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों से माफी मांगी थी. उदाहरण के लिए साल 1908 में सत्येंद्रनाथ बोस के बाद कई लोगों ने माफी मांगी.
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