इस म्यूजियम में हड़प्पा सभ्यता के कंकाल, पाषाणकाल के पत्थर के औजार भी मौजूद
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मानव सभ्यता कई लाख वर्षों से धरती पर मौजूद है. माना जाता है कि 10 हजार वर्ष पूर्व से ही मानवों ने खेती करनी शुरू की थी. शिकार करने से लेकर अनाज बोने तक का यह सफर काफी लंबा रहा है. इसी लंबे सफर को नई पीढ़ी समझ सके, इसके लिए देशभर में कई संग्रहालय मौजूद हैं और इन्हीं में से एक है देहरादून के कौलागढ़ में स्थित भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण संग्रहालय. यहां रूपकुंड झील और हड़प्पा सभ्यता समय के कंकालों को सहेज कर रखा गया है.
इस संग्रहालय की स्थापना 1995 में हुई थी. यहां उत्तराखंड समेत हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ की जनजातियों से जुड़ी वस्तुएं, पारंपरिक कृषि औजार, परिधान, आभूषण, वाद्ययंत्र और पाषाणकाल के पत्थरों के औजार भी संरक्षित किए गए हैं.
संग्रहालय में इन क्षेत्रों में निवासरत रही जनजातियों और अन्य समुदायों से जुड़े 824 सैंपल रखे गए हैं. इस क्षेत्रीय मानव विज्ञान संग्रहालय में आम लोग भी बिना शुल्क दिए जा सकते हैं, लेकिन प्रचार-प्रसार की कमी की वजह से इस म्यूजियम के बारे में ज्यादातर लोगों को पता नहीं है. यही वजह है कि संग्रहालय आज तक पर्यटन का केंद्र नहीं बन पाया है.
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