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मुंद्रा पोर्ट पर ड्रग्स मंगाने से तीन महीने पहले तस्करों ने की थी प्रैक्टिस, यही चालाकी पड़ गई भारी- रिपोर्ट

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नई दिल्ली. गुजरात (Gujarat) स्थित मुंद्रा बंदरगाह (Mundra Port) से 15 सितंबर को नशीली दवाओं (Drugs) की जब्ती राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) की कड़ी मेहनत से की गई जांच का परिणाम थी. हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक ड्रग्स का धंधा करने वालों ने मुंद्रा पोर्ट पर नशीली दवाओं की खेप मंगाने से पहले 9 जून को कच्छ पोर्ट पर इसका ड्राई रन किया था. 14-15 सितंबर की दरम्यानी रात को DRI ने मुंद्रा पोर्ट से टैल्कम पावडर मिश्रित 3 हजार किलोग्राम अफगान हीरोइन जब्त की थी. रिपोर्ट के मुताबिक इस ड्रग को नई दिल्ली (New ) और नोएडा सहित देश भर में फैले ड्रग नेटवर्क को सप्लाई किया जाना था.

नॉर्थ ब्लॉक के शीर्ष अधिकारियों के मुताबिक 9 जून को हुए ड्राई रन के बारे में DRI को खुफिया जानकारी मिली थी और डीआरआई ने ड्रग का धंधा करने वालों, पेमेंट का माध्यम और उनके तौर तरीकों की भी पहचान भी कर ली थी. DRI को इस काम में आईबी, रॉ और एनआईए से भी काफी मदद मिली थी. रिपोर्ट के मुताबिक इतने बड़े पैमाने पर ड्रग की जब्ती अफगान नागरिकों द्वारा भारत में बनाए ड्रग नेटवर्क की पहुंच को दर्शाती है. माना जा रहा है कि केंद्र सरकार जल्द ही पूरे मामले की जांच NIA को सौंप सकती है.

मुंद्रा एयरपोर्ट पर ड्रग की बरामदगी का दिल्ली कनेक्शन सामने आने के बाद दिल्ली पुलिस ने ड्रग-टेरर-अंडरवर्ल्ड स्पेशल सेल की शुरुआत की है. इस यूनिट में तीन नए डीसीपी नियुक्त किए गए हैं. केंद्रीय जांच एजेंसियों के साथ काम करते हुए दिल्ली पुलिस की कोशिश राजधानी में ड्रग-टेरर-अंडरवर्ल्ड के खतरनाक नेटवर्क को नेस्तूनाबूद करना है, जांच एजेंसियों को आशंका है कि राजधानी में नाइजीरियाई और अफगान ड्रग रनर सक्रिय हैं.

सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा भारतीय उपमहाद्वीप में ड्रग समस्या को गंभीर बना सकता है, क्योंकि पाकिस्तान समर्थित सुन्नी इस्लामिस्टों (तालिबान) के लिए राजस्व का मुख्य स्त्रोत अफीम की खेती और हेरोइन ही है. मौजूदा समय में अफगानिस्तान में 3 लाख हेक्टेयर में अफीम की खेती हो रही है. एक एनसीबी अधिकारी ने कहा कि तालिबान के शासन के दौरान हम अफीम की बंपर पैदावार की उम्मीद कर रहे हैं, जिसके चलते ग्लोबल मार्केट ड्रग से भरा होगा और इसके सबसे बड़े शिकार नौजवान, बच्चे और कमजोर होंगे.

भारत में अफीम के उपयोग का प्रचलन है. एक सरकारी अध्ययन के अनुसार, यह उपयोग वैश्विक औसत (.70 प्रतिशत) और एशियाई औसत (0.46 प्रतिशत) की तुलना में 2.1 प्रतिशत तक है. यदि इन संख्याओं को आपस में जोड़ें तो भारत में हेरोइन की दैनिक आवश्यकता लगभग एक मीट्रिक टन प्रति दिन या एक वर्ष में 360 मीट्रिक टन है, जिसका अंतरराष्ट्रीय बाजार में मूल्य 1,44,000 करोड़ रुपये है. साफ है कि इस धन का उपयोग अन्य संगठित अपराधों और आतंकी गतिविधियों के लिए किया जाता है.

समय के साथ भारत कोकीन का गढ़ बनता जा रहा है. हालांकि इसकी सप्लाई पर दक्षिण अमेरिकी देशों के कार्टेल का नियंत्रण है. एनसीबी ने पाया है कि भारत में मुंबई का दर्जा कोकीन कैपिटल का है, लेकिन भारत का उपयोग दुनिया के अन्य देशों में भी कोकीन पहुंचाने के लिए किया जा रहा है.

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