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सुप्रीम कोर्ट ने मामलों के ‘लंबे समय से लंबित रहने’ पर चिंता जताई

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नयी दिल्ली . मामलों के ‘लंबे समय से लंबित रहने’ पर चिंता व्यक्त करते हुए उच्चतम न्यायालय ( Supreme Court)  ने पत्नी को जलाकर मार डालने के जुर्म में आजीवन कारावास (life imprisonment) की सजा काट रहे व्यक्ति को शुक्रवार को इस आधार पर जमानत प्रदान कर दी कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) में दोषसिद्धि के खिलाफ उसकी 2016 की अपील पर सुनवाई में विलंब हुआ है.

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण के नेतृत्व वाली पीठ ने बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार के गृह सचिव को निर्देश दिया था कि वह हलफनामा दायर करें जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष दोषी द्वारा लिए गए स्थगन की संख्या का विवरण हो या फिर वह शुक्रवार को सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने को तैयार रहें. न्यायालय ने यह निर्देश तब दिया था जब राज्य के वकील ने विलंब के लिए दोषी को जिम्मेदार बताया था.

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न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की भी भागीदारी वाली पीठ ने शुक्रवार को राज्य सरकार के हलफनामे का अवलोकन किया. पीठ को अधिवक्ता गरिमा मित्तल ने बताया कि दोषी ने उच्च न्यायालय के समक्ष कई स्थगन लिए हैं. वहीं, दोषी के वकील ने कहा कि दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को दी गई चुनौती पर सुनवाई के लिए उच्च न्यायालय में यहां तक कि अपील रिकॉर्ड तक तैयार नहीं हुए हैं. शीर्ष अदालत ने कहा, ‘हम वहां फौजदारी मामलों के लंबे समय से लंबित होने की बात जानते हैं. और, कोई प्रभावी सुनवाई न होने की वजह से हम अपील का निपटारा कर रहे हैं तथा उसे (दोषी) जमानत दे रहे हैं.’

एक अन्‍य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह की टिप्‍पणी करते हुए कहा था कि माना कि इलाहाबाद हाईकोर्ट 25 साल पुराने मामलों पर सुनवाई कर रहा है, लेकिन ‘हम क्‍या कर रहे हैं? यही सच्‍चाई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट काफी पुराने मामलों की अब सुनवाई कर रहा है. लेकिन क्‍या हम उन सभी आरोपियों को रिहा कर दें क्‍योंकि उनकी याचिकाएं लंबे समय से लंबित हैं? हम ऐसा भी नहीं कर सकते.’ सुप्रीम कोर्ट ने इस पर गंभीरता जताई थी और कहा था कि कार्यप्रणाली की खामी के चलते आरोपियों को उनका केस पूरा होने तक 20 से 25 साल तक जेल में रहना पड़ता है.

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