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प्रयागराज: बेगुनाह होकर भी नैनी जेल की चार दीवारों में कैद है मासूम बच्चों का बचपन

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जेल

जेल की चार दीवारों के बीच पढ़ाई करते बच्चे

नैनी सेंट्रल जेल में लगभग 150 से ज्यादा महिला कैदी है लेकिन उनके साथ ही साथ 12 से 14 बच्चे भी हैं, जिन्होंने कोई गुनाह नहीं किया लेकिन मां के साथ जेल की कैद में हैं.

किसी ने बहुत ही खूब लिखा है कि ’बच्चे सदा आज में जीते है,कल की चिंता उन्हें कहां है…नहीं बंधे हैं वह बंधन में,उनका तो संपूर्ण जहां है’ लेकिन हम जिन बच्चों की बात कर रहे , वह बंधे हैं, एक सीमा में . उनका जहां संपूर्ण नहीं बल्कि चारदीवारी है. ऊंची-ऊंची चार दीवारी ही उनके लिए उनकी दुनिया है. इन दीवारों के बाहर भी कुछ है इसका ख्याल भी उन्हें नही हैं.
जी हां… हम बात कर रहे हैं उन बच्चों की जो जेलों में सालों से बंद है.दरअसल गुनाह तो जाने-अनजाने में इनकी मां ने किया लेकिन सजा यह बच्चे भी काट रहे. दुनिया के कई रंगों से दूर अपनों के साए से दूर यह बच्चे जेल की बेरंग जिंदगी जीते हैं.जिनका बचपन जेल की दीवारों में ही खत्म हो गया.ये दिन-रात अपराधियों के बीच पलते हैं.
नैनी सेंट्रल जेल में अभी 150 से ज्यादा महिला कैदी हैं .जिनमें 12-14 बच्चे हैं जो जेल में ही अपनी मां के साथ रहते हैं . गुनाह-बेगुनाह की परिभाषा से दूर इन बच्चों की आंखों में मासूमियत के साथ खुले आसमान के तले मस्ती ना कर पाने की एक कसक भी झलकती है.

बच्चों के लिए क्या है व्यवस्था जेल में

यदि किसी महिला को सजा सुनाई जाए और वह गर्भवती हो तो ऐसे में महिला जेल में मौजूद व्यवस्थाओं के बीच ही अपने बच्चे को जन्म देती है और नियम के अनुसार 5 से 6 साल तक बच्चे को अपने साथ भी रख सकती है.ऐसे में मासूम बच्चों के विकास के लिए जेल प्रशासन द्वारा कई सुविधाएं उपलब्ध कराई जााती हैं. नैनी सेंट्रल जेल में भी बच्चों के लिए झूले, खेल की व्यवस्था है.साथ ही बच्चे शिक्षा में ना पिछड़े इसके लिए उन्हें रोज बेसिक शिक्षा का पाठ पढ़ाने शिक्षिकाएं भी आती है.साथ ही मां अपने बच्चों के साथ लिखना-पढ़ना सीखती है.इनके खानपान, स्वास्थ्य के लिए कोर्ट के प्रावधानों का पालन होता है.

महिला के स्वास्थ्य और खानपान का होता है ख्याल
महिला कैदी जब जेल में आती हैं तो अक्सर अवसाद का शिकार हो जाती हैं क्योंकि उनकी आजादी छिन चुकी होती है और साथ ही वह भविष्य की चिंता उनको अवसाद की ओर ले जाता है.इस सवाल पर जेल अधीक्षक पीएन पांडे ने बताया कि इसके लिए सबसे पहले महिला कैदी साथी उन्हें समझाती है.इतना ही नही महिला सेल में मनोवैज्ञानिक की भी विजिट होती रहती है.
वर्तमान में नैनी जेल से लगभग 10 से 12 महिला कैदियों का बनारस मेंटल हॉस्पिटल में इलाज चल रहा है . इसके साथ उनके लिए अलग-अलग खेलों की व्यवस्था है, उन्हें पढ़ाने की व्यवस्था है और जो महिलाएं पढ़ सकती हैं उनके लिए किताबे, मैग्जीन, अखबार उपलब्ध रहते हैं.खाने को अलग बनाया जाता है.तो वहीं गर्भवती महिलाओं के खानपान पर विशेष ध्यान दिया जाता है.

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