उत्तराखंड

केदारनाथ मंदिर के कपाट कल विधि- विधान से शीतकाल के लिए कर दिए जाएंगे बंद

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रुद्रप्रयाग। द्वादश ज्योर्तिलिंगों में शामिल भगवान केदारनाथ के कपाट 27 अक्टूबर यानी भैयादूज पर्व पर वैदिक मंत्रोच्चार एवं पौराणिक परंपराओं के साथ विधिविधान से शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। बुधवार को भगवान के पंचमुखी उत्सव डोली को मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा। वहीं, गौरीकुंड स्थित मां गौरा माई के कपाट भी इसी दिन शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। कपाट बंद करने को लेकर मंदिर समिति ने तैयारी शुरू कर दी है। बुधवार को पूर्व मुख्‍यमंत्री डॉ रमेश निशंक के केदारनाथ के दर्शन किए। इस दौरान उन्हें सास लेने में दिक्कत महसूस हुई, उन्हें सेफ हाउस में कुछ देर ऑक्सीजन भी दी गई। इसके बाद वह बदरीनाथ धाम के लिए रवाना हो गए।

पौराणिक परंपरा के अनुसार भैयादूज पर्व पर बंद होंगे कपाट

केदारनाथ मंदिर के कपाट पौराणिक परंपरा के अनुसार भैयादूज पर्व पर बंद कर दिए जाएंगे। गुरुवार यानी भैयादूज पर्व पर केदारनाथ धाम के कपाट इस वर्ष शीतकाल के लिए पौराणिक रीति रिवाजों के साथ बंद कर दिए जाएंगे। गुरुवार को सुबह मुख्य पुजारी टी. गंगाधर लिंग मंदिर के गर्भगृह में सुबह तीन बजे से विशेष पूजा-अर्चना शुरू की जाएगी।भगवान को भोग लगाने के उपरांत भक्त दर्शन करेंगे, जिसके बाद भगवान को समाधि पूजा के बाद गर्भगृह के कपाट बंद कर दिए जाएंगे। मंदिर के मुख्य कपाट सुबह 8.30 बजे बंद किए जाएंगे। कपाट बंद होने के बाद भगवान की पंचमुखी उत्सव डोली रात्रि विश्राम के लिए प्रथम पडाव फाटा, 28 अक्टूबर को भोले बाबा की उत्सव डोली रात्रि विश्राम के लिए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी तथा 29 अक्टूबर को पंचगददीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊउखीमठ पहुंचेगी। शीतकाल के छह माह तक यहीं पर भगवान केदारनाथ की शीतकालीन पूजाएं होंगी और भक्त दर्शन कर सकेंगे। वहीं, 27 अक्टूबर को सुबह आठ बजे गौरीकुंड स्थित गौरामाई के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। मां की डोली मंदिर की एक परिक्रमा करने के बाद गौरी गांव के लिए रवाना होगी। शीतकाल के छह माह तक यहीं पर मां गौरामाई की पूजा-अर्चना संपन्न की जाएगी।

बदरी-केदार मंदिर समिति ने शुरू की तैयारी

मान्यता है कि कैलाश से भगवान शिव की उत्सव डोली गौरीकुंड पहुंचने से पहले गौरामाई की डोली गर्भगृह से बाहर निकालकर अपने शीतकालीन गद्दीस्थल को रवाना हो जाती है, जिससे कि बाबा केदार व गौरामाई का मिलन नहीं हो पाता है। यहां पर भगवान शिव ने पार्वती के अंग निर्मित पुत्र गणेश से युद्ध कर उसके सिर काटने से गौरामाई नाराज हुई थी, जिससे उनका मिलन शिव से नहीं हो पाता है। दोनों कपाट बंद करने को लेकर बदरी-केदार मंदिर समिति ने तैयारी शुरू कर दी है। बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेन्द्र अजय ने बताया कि केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद करने को लेकर सभी तैयारी शुरू कर दी गई हैं। 27 अक्टूबर को सुबह तीन बजे से मंदिर में समस्त पूजाएं शुरू कर दी जाएगी। ठीक 8.30 बजे मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। वहीं इसी दिन गौरामाई के कपाट भी बंद किए जाएंगे।



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