अल्मोड़ा में बनते हैं रावण परिवार के पुतले, भारत में तीसरे नंबर पर ‘अल्मोड़ा का दशहरा’
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अल्मोड़ा में इस तरह से बनाए जाते है पुतले
अल्मोड़ा का दशहरा पर्व जोकि अपने आप में एक ऐतिहासिक है अल्मोड़ा में पुतले बनाने की परंपरा करीब 100 साल पुरानी मानी जाती है. बताया जाता है ?
अल्मोड़ा का दशहरा पर्व जोकि अपने आप में एक ऐतिहासिक है अल्मोड़ा में पुतले बनाने की परंपरा करीब 100 साल पुरानी मानी जाती है. बताया जाता है अल्मोड़ा में पहले सिर्फ रावण का ही पुतला बनाया जाता था, लेकिन पिछले करीब 40 सालों से दशहरा महोत्सव में अब रावण के साथ-साथ रावण के परिवारों के पुतले भी बनाए जाते हैं मैसूर और कुल्लू मनाली के बाद अल्मोड़ा का दशहरा तीसरे स्थान पर आता है.
अल्मोड़ा के दशहरा को भव्य रूप से मनाया जाता है.दशहरा पर्व पर रावण रावण के पुतले के साथ साथ करीब 28 पुतले अल्मोड़ा के शहर और मोहल्लों में इनका निर्माण किया जाता है. पुतले बनाने के लिए लोग अपने मोहल्ले और अपने इलाकों में आकर इन पुत्रों का निर्माण करते हैं जिसके लिए करीब 1 महीने से इनके निर्माण के लिए काम किया जाता है इसमें बच्चों से लेकर बड़े लोग इसमें भागीदारी करते हैं अल्मोड़ा में पुतले बनाने के लिए लोग तार, पेपर,और घास का प्रयोग करते हैं जिससे पुतले का निर्माण हो सके. पहले के लोग बताते हैं अल्मोड़ा में पुतले करीबन 20 से 25 फुट के बना करते थे अब सिर्फ 14 ही फुट के पुतले का निर्माण किया जाता है.
कोरोना के चलते पिछले वर्ष पुतलों का निर्माण नहीं किया क्या जिसके चलते रावण के ही पुतले को अनुमति प्रदान की थी इस बार भी लोग असमंजस में है कि पुतला बनाएं कि नहीं कुछ जगह पुतलों का निर्माण किया तो जा रहा है और कुछ जगह नहीं किया जा रहा है कोरोना की गाइडलाइन को देखते हुए इस बार पुतलो की संख्या भी कम कर दी गई है करीब 28 में से करीब 15 ही बनेंगे और इनको हर साल की तरह पूरी बाजार में जुलूस निकालकर स्थानीय स्टेडियम में में जलाया जाएगा पर इस बार और सालों की तरह स्टेडियम में सांस्कृतिक कार्यक्रम को अनुमति नहीं दी गई है.
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