उत्तराखंड

नैनीताल के बोट हाउस क्लब का दिलचस्प इतिहास, कभी हुआ करता था ‘यॉट क्लब’

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नैनीताल के किनारे स्थित बोट हाउस क्लब (Nainital Boat House Club) पूरे भारत में प्रसिद्ध है. यह क्लब यहां आ रहे पर्यटकों को भी काफी लुभाता है. नैनीताल के इस बोट हाउस क्लब के साथ ही नैनीताल यॉट क्लब भी जुड़ा है. यह क्लब सेलिंग से जुड़ी प्रतियोगिताएं करवाता रहा है. भारत के टॉप तीन में आने वाले इस बोट हाउस क्लब का इतिहास बेहद ही खास रहा है.

इतिहासकार अजय रावत के अनुसार, नैनी झील का यॉट से परिचय पहली बार 1880 में हुआ था. तब मेरठ के कमिश्नर फ्लीटवुड विलियम्स ने स्कूनर यॉट को ट्राली के माध्यम से झील में उतारा था. एक जुड़वा पतवार वाली नाव, जिसे जेमिनी नाम दिया गया, उसको भी यहां कर्नल हेनरी द्वारा चलाया गया था.

1910 में नैनीताल बोट हाउस क्लब तब नैनीताल यॉट क्लब (NTYC) के नाम से स्थापित हुआ था. आर्म्ड फोर्स के दो भाई, मेजर सी.डब्लू. कैरी और कैप्टन एफ. कैरी ने इसके निर्माण में योगदान दिया. लिंगटन होप कंपनी ने इस यॉट क्लब का डिजाइन तैयार किया था.

1947 में नैनीताल क्लब के समाप्त होने के साथ ही NTYC को भी बंद होना पड़ा. साल 1948 में गिरीराज सिंह ने फिर से नए तरीके से बोट हाउस क्लब की शुरुआत की, जिसके बाद NTYC को फिर से स्थापित किया गया. गिरीराज सिंह यहां के वाइस कमोडोर बने और बाद में बतौर कमोडोर 17 साल तक इस क्लब को संभाला.

झील के किनारे बने नैनीताल बोट हाउस क्लब में लाइब्रेरी, बार, रेस्टोरेंट, बिलियर्ड आदि की सुविधाएं उपलब्ध हैं. क्लब से जुड़े सदस्यों के लिए यह सब सुविधाएं उपलब्ध हैं. यहां की सदस्यता लेने के लिए तीन लाख रुपये का शुल्क लिया जाता है.

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