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देश के लिए अब भी चिंता का सबब है कोरोना का डेल्टा वेरिएंट, जिनोम सिक्वेंसिग पैनल ने दी जानकारी

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नई दिल्ली. इंडियन सार्स-कोवी-2 जिनोमिक्स कंसोर्टियम (इन्साकॉग) ने कहा है कि डेल्टा (Delta) चिंता पैदा करने वाला कोविड-19 का मुख्य स्वरूप (main variant of concern) बना हुआ है और अन्य स्वरूप भारत से सीक्वेंसिंग डेटा में अब नगण्य हो गये हैं. इन्साकॉग ने एक बुलेटिन में कहा कि वैश्विक परिदृश्य में कोई बदलाव नहीं हुआ है. उल्लेखनीय है कि यह 28 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं का एक समूह है, जिसे सार्स-कोवी-2 में संरचना के अंतर की निगरानी के लिए गठित किया गया था. यह एक अखिल भारतीय नेटवर्क है जो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत कार्य करता है.

इन्साकॉग ने कहा, ‘बी.1.6.17.2 (एवाई) और एवाई.एक्स सहित डेल्टा स्वरूप वैश्विक रूप से चिंता का मुख्य विषय बना हुआ है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के पास उपलब्ध ताजा जानकारी के मुताबिक डेल्टा ने ज्यादातर देशों में (कोविड के) अन्य स्वरूपों को प्रतिस्पर्धा से बाहर कर दिया और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटासेट में या डब्ल्यूएचओ को प्राप्त आंकड़ों के अनुसार सार्स-कोवी-2 के अन्य स्वरूप के घटने की प्रवृत्ति दिख रही है.’ इसमें कहा गया है कि भारत में डेल्टा (बी.1.6.17.2 और एवाई.एक्स) चिंता का (कोविड-19 का) मुख्य कारण बना हुआ है.’

कोई नया या चिंता पैदा करने वाला वेरिएंट नहीं मिला
इसमें कहा गया है कि गौर किये जाने वाला (कोविड का) कोई नया स्वरूप या चिंता पैदा करने वाला (कोविड का) कोई अन्य स्वरूप नहीं पाया गया है और डेल्टा स्वरूप को छोड़ कर चिंता पैदा करने वाला अन्य स्वरूप भारत से सीक्वेंसिंग डेटा में अब नगण्य है. कोविड-19 के डेल्टा स्वरूप का सबसे पहले पिछले साल अक्टूबर में भारत में पता चला था. इसने देश में कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के दौरान तबाही मचाई थी, जो अप्रैल और मई में अपने चरम पर थी.

एंडेमिक में तब्दील हो सकता है कोरोना!
बता दें कि कोरोना महामारी के अब एंडेमिक में तब्दील होने की बात एक्सपर्ट कहते रहे हैं. हाल में महाराष्ट्र में कोविड डेथ कमेटी के इंचार्ज डॉ. अविनाश सूपे ने कहा था कि अगर प्रतिबंध हटने के बाद भी दिसंबर तक महामारी के मामलों में तेजी नहीं आती है तो इसका मतलब कोरोना स्थानिक यानी एंडेमिक में तब्दील हो चुका है. उन्होंने कहा था- ‘इसका मतलब है कि हमने हर्ड इम्युनिटी डेवलप कर ली है. लेकिन अभी जिनोम सिक्वेंसिंग पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किए जाने की जरूरत है. वायरस पर गहन निगाह बनाए रखनी होगी. किसी भी नए वेरिएंट पर नजर रखनी होगी.’

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