कभी स्वतंत्रता सेनानियों का गढ़ था ये कांग्रेस कार्यालय, आजादी की लड़ाई में थी अहम भूमिका
[ad_1]
पिथौरागढ़ जिले का पहला कांग्रेस कार्यालय 1921 में बना था.
इसी दफ्तर में स्वतंत्रता सेनानियों ने ‘साइमन कमीशन’ और ‘कुली बेगार’ प्रथा के खिलाफ आंदोलन की रणनीति बनाई थी.
उत्तराखंड के सीमांत जनपद पिथौरागढ़ में 100 साल पहले हुड़ेती गांव में स्वतंत्रता आंदोलन की रणनीति तैयार करने को कांग्रेस कार्यालय की स्थापना की गई थी. इसी दफ्तर में स्वतंत्रता सेनानियों ने ’साइमन कमीशन’ और ’कुली बेगार’ प्रथा के खिलाफ आंदोलन की रणनीति बनाई थी. आजादी की लड़ाई को संगठित तरीके से आगे बढ़ाने को 1921 में जिला मुख्यालय से सटे हुड़ेती गांव में कांग्रेस कार्यालय खोला गया था. स्वतंत्रता संग्राम के नायक रहे कृष्णानंद उप्रेती और प्रयाग दत्त पंत ने यह कार्यालय खोलने में अपनी अहम भूमिका निभाई थी.
कार्यालय खुलने के बाद हुड़ेती गांव से ब्रिटिश शासन के खिलाफ रणनीति बनाने का काम किया जाने लगा, जिससे पिथौरागढ़ में भी स्वतंत्रता आंदोलन को मजबूती मिली. 27 जून, 1929 को महात्मा गांधी कौसानी से बागेश्वर आए थे, तब यह क्षेत्र सड़क सेवा से वंचित था. बागेश्वर में उनकी सभा में भाग लेने के लिए सीमांत से भारी संख्या में सेनानियों ने हिस्सा लिया था. बापू के आह्वान पर वर्ष 1930 में स्वतंत्रता सेनानी कृष्णानंद उप्रेती, दुर्गा दत्त जोशी और उनके सहयोगियों द्वारा मोष्टामानू मंदिर में विदेशी कपड़ों के बहिष्कार के लिए सभा बुलाई गई थी. इस सभा में लोगों को महात्मा गांधी के आह्वान की जानकारी दी गई.
स्वतंत्रता सेनानी लक्ष्मण सिंह महर ने अपना नया विदेशी कोट आग को समर्पित कर इस आंदोलन का आगाज किया था. इसके बाद वर्तमान पिथौरागढ़ जिले के विभिन्न क्षेत्रों में विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के कार्यक्रम हुए. चरखा और खादी का प्रचार हुआ. इसको बढ़ावा देने के लिए स्थानीय भाषा में गीत तक तैयार किए गए. स्वतंत्रता सेनानी के पौत्र मशहूर साहित्यकार राजेश उप्रेती बताते हैं कि इसी जगह पर जिले का पहला पुस्तकालय भी खोला गया था, जिसे बाद में अंग्रेजों ने मिटा दिया था.
पढ़ें Hindi News ऑनलाइन और देखें Live TV News18 हिंदी की वेबसाइट पर. जानिए देश-विदेश और अपने प्रदेश, बॉलीवुड, खेल जगत, बिज़नेस से जुड़ी News in Hindi.
[ad_2]
Source link