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ओमिक्रॉन से मुकाबले के पर्याप्त नहीं 2 डोज वाली वैक्सीन, नई स्टडी में सामने आईं अहम बातें

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नई दिल्ली. कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) के खतरे को देखते हुए दुनियाभर में वैक्सीन के बूस्टर डोज (Booster Dose) पर विचार किया जा रहा है. कई एक्सपर्ट इसकी हिमायत कर चुके हैं. अब ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) की एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि दो डोज वाली वैक्सीन ओमिक्रॉन के खिलाफ पर्याप्त एंटीबॉडी नहीं तैयार करती हैं. ब्रिटिश वैज्ञानिकों (British Scientists) ने पाया है कि ओमिक्रॉन के कारण पहले वैक्सीनेशन करवा चुके लोगों में भी संक्रमण बढ़ सकता है.

नई स्टडी का अभी तक पीयर रिव्यू नहीं हुआ है. स्टडी में उन लोगों को शामिल किया गया था जिन्हें ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका और फाइज़र की वैक्सीन लगाई गई थीं. इस स्टडी में काफी बड़ी संख्या में लोगों को शामिल किया गया है. नई स्टडी ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के उस बयान के ठीक एक दिन बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि ओमिक्रॉन को रोकने के लिए दो डोज वाली वैक्सीन पर्याप्त नहीं हैं.

कितना गंभीर होगा संक्रमण?
हालांकि स्टडी में कहा गया है कि ओमिक्रॉन के खिलाफ कम एंटीबॉडी पैदा करने के निष्कर्ष के बावजूद अभी ये नहीं बताया जा सकता कि संक्रमण गंभीर होगा या नहीं. यानी ओमिक्रॉन संक्रमण के बाद अस्पताल में भर्ती होने या फिर मौत का खतरा कितना होगा, इस पर अभी कोई जानकारी नहीं हाथ मिलेगी.

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क्या बोला WHO?
इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक अध्ययन के आधार पर कहा है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट डेल्टा से ज्यादा तेजी से फैलने के साथ ही वैक्सीन के प्रभाव को भी कम करता है. लेकिन दूसरी तरफ यह भी कहा है कि डेल्टा वैरिएंट के मुकाबले ओमिक्रॉन से होने वाला संक्रमण कम घातक है. संक्रमित व्यक्ति में दिखने वाले लक्षण डेल्टा के मुकाबले बहुत कम गंभीर होते हैं.

अभी तक हुई रिसर्च के मुताबिक ओमिक्रॉन गंभीर संक्रमण नहीं करता लेकिन कम्यूनिटी इन्फेक्शन का खतरा डेल्टा के मुकाबले कहीं ज्यादा है. अभी तक सामने आए मामलों में संक्रमित व्यक्ति में लक्षण गंभीर नहीं पाए गए हैं. यह काफी हल्के हैं. लेकिन डबल्यूएचओ ने यह भी कहा है कि अभी यह सब निष्कर्ष बहुत शुरुआती अध्ययन के आधार पर निकाले गए हैं. अभी तक हुए अध्ययन के आधार पर किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचना ठीक नहीं है.



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