उत्तराखंड

UK Election : उत्तराखंड चुनाव में सबसे बड़े मुद्दे बने बेरोज़गारी और सांप्रदायिकता! पूरा विपक्ष हुआ एकजुट

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देहरादून. उत्तराखंड इलेक्शन में इस बार बेरोज़गारी सबसे बड़ा मुद्दा बन गई है. और विपक्ष अच्छी तरह समझ चुका है कि बगैर एकजुटता के सत्ता पलटना मुश्किल है. इसी नब्ज़ को भांपते हुए देहरादून में बेरोज़गारी के मुद्दे पर हुए एक कार्यक्रम में 8 विपक्षी दल एक प्लेटफॉर्म पर एक साथ दिखाई दिए, जिनमें राज्य के सबसे बड़े विपक्षी दल कांग्रेस की भी भागीदारी रही. कांग्रेस के अलावा, बसपा, समाजवादी पार्टी से लेकर थर्ड फ्रंट से जुड़ी ज्यादातर पार्टियां इस कार्यक्रम में शामिल हुईं. बेरोज़गारी के अलावा सांप्रदायिक माहौल बिगड़ने के मुद्दे पर भी विपक्ष ने सवाल उठाए, हालांकि केंद्र में रोज़गार का ही मुद्दा बना रहा.

‘जन हस्तक्षेप’ के बैनर तले राज्य के आठ प्रमुख विपक्षी दलों, विभिन्न जन संगठनों और बुद्धिजीवियों ने संयुक्त रूप से राज्य में सत्ताधारी भाजपा के रवैये के खिलाफ आवाज़ उठाई. सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन से हुए प्रतिकूल प्रभाव की वजह से बेरोज़गारी और गरीबी बेहद बढ़ी है. सरकार की और से राहत के लिए उठाए गए कदम नाकाफी हैं, लेकिन इस समय सत्ताधारी दल राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लागू कर भय को पैदा करने; जनांकिक (डेमोग्राफिक) बदलाव के नाम पर नफरत और संदेह के माहौल को बढ़ावा देने; और सांप्रदायिक बयानों और हिंसक संगठनों को बढ़ावा देने जैसे ही कदम उठा रहा है.

सम्मेलन में एक सुर में कहा गया कि राज्य सरकार मुद्दों पर काम करने के बजाय दमन और नफरत को बढ़ावा दे रही है. उत्तराखंड राज्य हमेशा एक शांतिपूर्ण राज्य रहा है. लोकतांत्रिक मूल्यों और कानून के राज का सम्मान रहा है. लेकिन अब चुनावी फायदे के लिए सत्ताधारी दल इस संस्कृति को बदलना चाह रहा है. इस सम्मेलन में हुई चर्चा को एक संयुक्त बयान के तौर पर पेश किया गया. इन पार्टियों व संगठनों के नाम से बयान जारी हुआ :

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‘जन हस्तक्षेप’ बैनर तले कई पार्टियां सरकार के खिलाफ एक मंच पर आईं.

कांग्रेस पार्टी के राज्य उपाध्यक्ष सुरेंद्र अग्रवाल
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव समर भंडारी
उत्तराखंड महिला मंच की गीता गैरोला
समाजवादी पार्टी के राज्य अध्यक्ष डॉ. एसएन सचान
चेतना आंदोलन की सुनीता देवी और पप्पू
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता एसएस सजवाण
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मा-ले) के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी
AIDWA के वरिष्ठ नेता इंदु नौटियाल
उत्तराखंड लोकतान्त्रिक मोर्चा के अध्यक्ष SS पांगती जी

इनके अलावा, सर्वोदय आंदोलन से जुड़े वरिष्ठ आंदोलनकारी बीजू नेगी और हरबीर सिंह खुश्वाहा ने सम्मेलन को सम्बोधित किया तो उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय प्रवक्ता शिव प्रसाद सेमवाल ने भी कार्यक्रम को समर्थन दिया. ज़्यादातर वक्ताओं ने राज्य में सरकार के रवैये से बन रहे सांप्रदायिक माहौल का घोर विरोध किया. कहा गया कि एक संप्रदाय विशेष के खिलाफ नफरत और भय का माहौल बनाने, हिंसक गतिविधियों को बढ़ावा देने जैसे कदम सत्ता के दुरुपयोग और गैर संवैधानिक काम ही हैं.

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