Uttarakhand Chunav: जिसने जीती गंगोत्री, उत्तराखंड में सरकार उसकी! इतिहास से मजबूत होता इस सीट का मिथक
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उत्तरकाशी. उत्तराखंड की सियासत में गंगोत्री विधानसभा क्षेत्र (Gangotri Assembly Seat) राजनीतिक पार्टी के लिए खासा मायने रखता है. आगामी विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Assembly Election 2022) से पहले तमाम राजनीतिक दलों में यह चर्चा है कि जिस भी पार्टी का प्रत्याशी गंगोत्री सीट जीतता है, उत्तराखंड में उसकी ही सरकार बनती है. स्वतंत्रता मिलने के बाद से लेकर पिछले चुनाव तक इस सीट पर जिस भी पार्टी का प्रत्याशी जीतकर आया सूबे में उसकी ही सरकार बनी है.
यहां बीजेपी और कांग्रेस के साथ राज्य में अपनी सियासी जमीन तलाश रही आम आदमी पार्टी को भी लगने लगा है कि सरकार बनाने की चाबी गंगोत्री विधानसभा सीट से ही निकलती है. उत्तर प्रदेश का हिस्सा रहने से लेकर उत्तराखंड बनने तक उत्तरकाशी की गंगोत्री सीट का इतिहास इस मिथक को और बल देता है.
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मिथक को मजबूत करता गंगोत्री सीट का इतिहास
सन 1957 के आंकड़ों पर अगर गौर करें तो उस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी जयेंद्र निर्विरोध निर्वाचित हुए थे और राज्य में कांग्रेस ही सत्तासीन हुई. इसके बाद 1958 में उत्तर प्रदेश की उत्त्तरकाशी सीट से कांग्रेस के रामचंद्र उनियाल विधायक बने तो राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी. इसके बाद तीन बार कांग्रेस के कृष्ण सिंह विधायक बने, तो प्रदेश में तीनों बार कांग्रेस की सरकार बनी. 1974 में उत्तरकाशी विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने पर यहां कांग्रेस नेता बलदेव सिंह आर्य विधायक बने, तब भी प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी. वहीं आपातकाल के बाद राजनीतिक उथल-पुथल के समय जनता पार्टी अस्तित्व में आई. उस समय जनता पार्टी के बर्फिया लाल जुवाठा चुनाव जीते और प्रदेश में जनता पार्टी की सरकार बनी. इस सीट पर पहले चुनाव से शुरू हुआ यह मिथक पिछले उत्तराखंड चुनाव तक लगातार बरकरार है.
उत्तराखंड के गंगोत्री सीट का चुनावी इतिहास
कांग्रेस, आप ने लगाया दम, बीजेपी की बढ़ी परेशानी
शायद इस मिथक की वजह से ही कांग्रेस ने इस सीट को जीतने के लिए चुनावी अभियान तेज कर दिया है. उत्तराखंड बनने के बाद से कांग्रेस इस सीट पर लगातार विजय पाल सजवाण को ही टिकट देती रही है, जिसमें से दो बार उन्हें जीत मिली और दो बार हार का मुंह देखना पड़ा. यहां जब सजवाण जीते तब प्रदेश में भी कांग्रेस की सरकार बनी और जब बीजेपी प्रत्याशी ने उन्हें यहां शिकस्त दी तो सूबे की सत्ता में बीजेपी ही आसीन हुई.
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उधर आम आदमी पार्टी ने भी इस विधानसभा में पहुंचकर अपने मुख्यमंत्री चेहरे अजय कोठियाल को इस सीट से उतारने का ऐलान कर दिया है. उधर दिवंगत विधायक गोपाल रावत के निधन के बाद इस विधानसभा के लिए भाजपा के एक दर्जन से ज्यादा नेता इस सीट पर दावेदारी कर रहे हैं, जो बीजेपी के लिए चिंता का विषय है.
गंगोत्री विधानसभा सीट का मिथक ही इसे उत्तराखंड की सबसे खास और हॉट सीट बना देता है. इस बार भी मिथक के चलते तीनों पार्टी इसे जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है. हालांकि ये अब वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव का परिणाम ही बताएगा कि गंगोत्री सीट से जुड़ा यह मिथक टूटता है या बरकरार रहता है.
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Tags: AAP, BJP, Congress, Gangotri Assembly Seat, Uttarakhand Assembly Election 2022, Uttarkashi News
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