उत्तराखंड

Uttarakhand Election : आखिर कहां से चुनाव लड़ेंगे प्रदेश के सबसे बड़े दलित नेता यशपाल आर्य?

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हल्द्वानी. बीजेपी छोड़ दोबारा कांग्रेस का दामन थाम चुके यशपाल आर्य को लेकर एक बार फिर कयासों का बाज़ार गर्म है. चर्चा इस बात को लेकर है कि आखिर यशपाल आर्य किस सीट से चुनाव लड़ेंगे? बाजपुर सीट से पिछला चुनाव जीते आर्य इन दिनों कांग्रेस के हर बड़े प्रोग्राम में अपने समर्थकों से घिरे दिख रहे हैं, लेकिन कांग्रेस कैंपेन कमेटी के चेयरमैन हरीश रावत के साये की तरह चल रहे आर्य अपनी सक्रियता से ज्यादा चुनावी रणनीति को लेकर चर्चा में हैं. सवाल है कि क्या यशपाल अपनी पुरानी सीट बाजपुर से 2022 में चुनावी मैदान में होंगे या कहीं और से? ये सवाल पेचीदा होता जा रहा है, हालांकि आर्य अपनी सीट न छोड़ने की बात कह रहे हैं.

बीते शनिवार को यशपाल आर्य और उनके विधायक पुत्र संजीव आर्य के ​काफिले पर हुए घातक हमले के बाद से आर्य की सीट को लेकर भी अटकलें तेज़ हो गई हैं. इस बीच आर्य ने न्यूज़18 से बात करते हुए बाजपुर को ही अपनी कर्मभूमि करार दिया. हालांकि उनके करीबी सूत्र बता रहे हैं कि वह किसी दूसरी सीट की तलाश में हैं, जिसके लिए लगातार अपने करीबियों से विचार-मंथन भी कर रहे हैं. अब उनकी नयी सीट कौन सी होगी? इस पर अभी सस्पेंस है. सूत्रों के मुताबिक प्रदेश के सबसे बड़े दलित नेता होने के नाते यशपाल की निगाह किसी रिज़र्व सीट पर तो है ही, साथ ही काशीपुर और हल्द्वानी जैसी जनरल सीटों से भी वह दांव खेल सकते हैं.

क्यों है यशपाल के सीट बदलने की चर्चा?
दरअसल पिछले एक साल के दौरान कृषि कानून के विरोध में हुए किसान आंदोलन से कुछ सीटों पर कन्फ्यूजन की स्थिति बनी है. आंदोलनकारी किसानों की बीजेपी से नाराज़गी रही है. किसान आंदोलन जब चला, उस दौरान आर्य राज्य की बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे, लेकिन आंदोलन के दौरान ही आर्य बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री पद छोड़कर कांग्रेस में चले गए. चर्चा है कि आर्य बाजपुर सीट को सुरक्षित करने के लिए ही बीजेपी छोड़ गए, जहां से वो लगातार दो बार विधायक के हैं.

लेकिन कैसे बदल गए समीकरण?
यशपाल को उम्मीद थी कि कांग्रेस में वापसी के बाद बाजपुर में किसानों की नाराज़गी उनसे दूर होगी, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और है. बताया जाता है कि यशपाल के बीजेपी सरकार में मंत्री रहने के दौरान किसान नेता जगतार सिंह बाजवा की पत्नी सुनीता टम्टा बाजवा ने बाजपुर में, खासकर किसान वर्ग के बीच मज़बूत पकड़ बना ली है. इसलिए कांग्रेस के लिए सुनीटा को नज़रअंदाज़ करना आसान नहीं है.

2017 में था आर्य और टम्टा का मुकाबला!
पिछले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यशपाल आर्य कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे. तब आर्य बाजपुर से बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में थे, जबकि सुनीता टम्टा कांग्रेस के टिकट पर उम्मीदवार थीं. आर्य ने तब 12,000 से ज्यादा वोटों से टम्टा को हराया था. इस बार किसान आंदोलन के चलते टम्टा के पक्ष में यहां तक हवा बताई जा रही है कि टम्टा को कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया, तो वह किसी और टिकट पर सही, चुनाव लड़ेंगी ज़रूर. और उनके मुकाबले में इस बार आर्य के लिए जीतना आसान कतई नहीं होगा.

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Tags: Uttarakhand Assembly Election 2022, Uttarakhand Congress, Uttarakhand news, Uttarakhand politics, Yashpal Arya



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