Uttarakhand Politics : यशपाल आर्य की वापसी से कांग्रेस को राहत, लेकिन सूत्रधार कौन?
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देहरादून. उत्तराखंड की भाजपा सरकार के वरिष्ठ मंत्री यशपाल आर्य की एंट्री से कांग्रेस में हरीश रावत, प्रीतम सिंह और गणेश गोदियाल के साथ एक बड़ा नाम जुड़ गया लेकिन सवाल है कि यशपाल आर्य की घर वापसी का सूत्रधार कौन था? वो भी तब, जबकि हरीश रावत आज भी वहीं हैं, जिनसे नाराज़ होकर यशपाल आर्य से कांग्रेस छोड़ी थी. इस बारे में जो चर्चा हो रही है और जिस तरह के संकेत स्पष्ट नज़र आ रहे हैं, उनसे यही माना जा सकता है कि उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह का नाम इस मामले में अग्रणी रहा, लेकिन कैसे?
उत्तराखंड में 7 सालों तक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे यशपाल आर्य फिर कांग्रेस के हो गए, लेकिन आर्य की वापसी की ज़मीन किसने तैयार की, कांग्रेस के भीतर इस बात की चर्चा ज़ोरों पर है. सवाल इसलिए बड़ा है कि गणेश गोदियाल को अभी अध्यक्ष बने ज़्यादा वक्त नहीं हुआ है और पूर्व सीएम हरीश रावत से नाराज़गी की वजह से ही आर्य ने 2017 चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ी थी. ऐसे में आर्य की वापसी के काम को आखिर किसने अंजाम दिया!
क्या और कैसी रही प्रीतम सिंह की भूमिका?
चर्चा है कि 4 साल प्रदेश अध्यक्ष रहे और अब नेता विपक्ष प्रीतम सिंह का इसमें बड़ा रोल रहा, जो 3 दिनों से लगातार दिल्ली में डटे हुए थे और फिर दिल्ली में कांग्रेस के मंच से प्रीतम और आर्य ने जो कहा, उसने सब कुछ साफ कर दिया. प्रीतम सिंह ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष और नेता विपक्ष के तौर पर वह लगातार आर्य के संपर्क में रहे. इस दौरान बातचीत होती रही और आखिरकार वही आर्य कांग्रेस में आ गए.

यशपाल आर्य की कांग्रेस में वापसी को बीजेपी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.
रावत और गोदियाल ने तो खुद किया था इनकार!
प्रीतम सिंह ने प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए भी ‘राजनीति में दरवाज़े हमेशा खुले’ होने की बात कही. वहीं बीते कुछ महीनों में चर्चाएं ये भी रहीं कि बीजेपी के कुछ नेता कांग्रेस के बड़े नेताओं के संपर्क में हैं लेकिन अक्सर गोदियाल और हरीश रावत ने ऐसी किसी बात से इनकार किया. न्यूज़ 18 को दिए इंटरव्यू में भी रावत ने यही कहा था. रावत ने कहा था कि कोई नेता फिलहाल उनके सीधे संपर्क में नहीं है.
कांग्रेस में आर्य की एंट्री पूरी पार्टी के लिए किसी राहत से कम नहीं है क्योंकि इसी साल जून में इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद कांग्रेस को बड़ा नुकसान हुआ था. प्रीतम सिंह की प्रदेश अध्यक्ष पद से विदाई हुई, तो सारे समीकरण बदल गए, लेकिन आर्य की वापसी करवाकर प्रीतम सिंह ने अपनी सियासी हुनर ज़रूर साबित किया है.
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