उत्तराखंड

Uttarakhand Rains Update : कई ज़िलों में रिकॉर्ड तोड़ बारिश, दो ज़िलों में तो 1000% से भी ज़्यादा

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देहरादून. उत्तराखंड में 20 अक्टूबर तक के आंकड़े देखे जाएं तो दो ज़िलों में सामान्य से 1000% के आंकड़े से भी ज़्यादा बारिश हुई है. चार ज़िलों में 500% और छह ज़िलों में 100% से ज़्यादा बारिश के आंकड़े मिले. बीते रविवार यानी 17 अक्टूबर से उत्तराखंड में भारी बारिश का दौर शुरू हुआ तो 18 और कुछ स्थानों पर 19 अक्टूबर तक चला. इस दौरान अतिवृष्टि से भूस्खलन और बाढ़ जैसी आपदा स्थितियां भी पैदा हुईं. राज्य के जोशीमठ और हेमकुंड सा​हिब जैसे कुछ हिस्सों में बर्फबारी की भी खबरें आ चुकी हैं. लेकिन मानसून सीज़न गुज़रने के बाद अक्टूबर में बरसात ने पहाड़ी राज्य में क्या इबारत लिखी? इसके फैक्ट्स चौंकाने वाले हैं.

20 सितंबर के बाद ही माना जा रहा था कि मानसून कमज़ोर हो जाएगा. हुआ भी और उत्तराखंड में कहीं कहीं, कभी कभी ही बारिश दर्ज हुई. लेकिन पहले से अलर्ट के बाद 17 और 18 अक्टूबर को तो आफत आ गई. कुमाऊं में भारी बारिश के बीच आंकड़ा 124 साल के रिकॉर्ड टूटने का आया तो मुक्तेश्वर में 107 साल का रिकॉर्ड टूट गया. कम से कम 64 जानें लेने वाली इस बारिश ने 1 अक्टूबर से 20 अक्टूबर तक किस तरह के रिकॉर्ड कायम किए, देखिए.

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किस ज़िले में हुई कितनी बारिश?
अल्मोड़ा — 261.4 मिलीमीटर (21.2 मिमी सामान्य)
बागेश्वर — 262.1 मिलीमीटर (21.1 मिमी सामान्य)
उधमसिंह नगर — 353.6 मिलीमीटर (36.5 मिमी सामान्य)
नैनीताल — 406.2 मिलीमीटर (41.4 मिमी सामान्य)
चमोली — 187 मिलीमीटर (20.9 मिमी सामान्य)
चंपावत — 452.1 मिलीमीटर (57 मिमी सामान्य)
पौड़ी गढ़वाल — 127.8 मिलीमीटर (22.9 मिमी सामान्य)
रुद्रप्रयाग — 126.2 मिलीमीटर (23.7 मिमी सामान्य)
टिहरी गढ़वाल — 95.5 मिलीमीटर (23.2 मिमी सामान्य)
हरिद्वार — 49.8 मिलीमीटर (17.1 मिमी सामान्य)
उत्तरकाशी — 81.7 मिलीमीटर (35.2 मिमी सामान्य)

आखिर क्यों हुई इतनी बारिश?
इस सवाल के जवाब में जानकार और विशेषज्ञ अलग अलग तर्क देते हैं मसलन, प्लानिंग और वैज्ञानिक आधार के बगैर राज्य में बेतरतीब विकास कार्यों का होना और क्लाइमेट चेंज का प्रभाव पड़ना. हालांकि सभी इस बात पर सहमत हैं कि राज्य के पर्यावरण और पहाड़ी भूभाग को जिस तरह नुकसान पहुंचाया गया है, उसी का असर आपदा के रूप में यहां के मौसम पर पड़ रहा है.

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