blog

भारत के लिए मौसम होगा बड़ी चुनौती

एक ताजा शोध में कहा गया है कि अगर दुनिया का तापमान बढ़ता रहा, तो सबसे ज्यादा असर भारत पर होगा। इस शोध के मुताबिक तापमान में  2.7 डिग्री की वृद्धि का असर 60 करोड़ से ज्यादा भारतीयों पर पड़ेगा। भारत में असामान्य मौसम ही अब सामान्य बन चुका है। मई में जैसी बारिश इस बार हुई है, वह इसी बात की पुष्टि करती है। अब आपने वाले दिनों में कैसा मौसम होगा, इस बारे में भविष्यवाणी करना मुश्किल हो गया है। असल में जलवायु परिवर्तन की वजह से बढ़ता तापमान पूरी दुनिया नए संकट पैदा कर रहा है। लेकिन एक ताजा शोध में कहा गया है कि अगर दुनिया का तापमान बढ़ता रहा, तो सबसे ज्यादा असर भारत पर होगा। इस शोध के मुताबिक तापमान में  2.7 डिग्री की वृद्धि का असर 60 करोड़ से ज्यादा भारतीयों पर पड़ेगा। लेकिन अगर तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री तक सीमित कर लिया जाए, तो इस दुष्प्रभाव में में छह गुना की कमी आ सकती है। लेकिन तब भी नौ करोड़ भारतीय बढ़ती गर्मी और लू का प्रकोप झेलने को मजबूर होंगे। अनुमान है कि हर 0.1 डिग्री तापमन बढऩे के साथ 14 करोड़ लोग भीषण गर्मी की चपेट में आएंगे। फिलहाल दुनिया भर के छह करोड़ लोग ऐसी जगहों पर रह रहे हैं, जहां औसत तापमान 29 डिग्री से ऊपर है।

यह शोध ब्रिटेन की एक्सेटर यूनिवर्सिटी के ग्लोबल सिस्टम्स इंस्टीट्यूट, अर्थ कमीशन और नानजिंग यूनिवर्सिटी ने साझा तौर पर किया। शोध की रिपोर्ट नेचर सस्टेनेबिलिटी जर्नल में छपी है। इसके पहले संयुक्त राष्ट्र की संस्था विश्व मौसम संगठन ने अनुमान लगाया था कि अब से 2027 के बीच धरती का तापमान 19वीं सदी के मध्य की तुलना में 1.5 डिग्री से ज्यादा पर बढ़ जाएगा। जबकि 2015 की पेरिस संधि में 1.5 डिग्री सेल्सियस औसत तापमान को दुनिया की सुरक्षा के लिए खतरनाक सीमा माना गया था। इससे पहले यूनिवर्सिटी ऑफ केपटाउन, यूनिवर्सिटी ऑफ बफेलो और यूनिवर्सिटी ऑफ कनेक्टिकट के शोध में कहा गया था कि अगर धरती का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ता है, तो 15 फीसदी प्रजातियां खत्म हो जाएंगी। धरती जैसे ही 2.5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म होगी, तो 30 फीसदी प्रजातियां खत्म हो जाएंगी। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि इतनी स्पष्ट चेतावनियां होने के बावजूद दुनिया के कर्ता-धर्ता इसे नजरअंदाज किए हुए हैँ। इस बीच भारत जैसे विकासशील देशों की चुनौतियां बढ़ती चली जा रही हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *