उत्तराखंड

शीत ऋतु की आहट के साथ ही प्रभाग में अप्रवासी पक्षियों की दस्तक शुरू

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कोटद्वार। यदि आप रंग-विरंगे पक्षियों के दीदार का शौक रखते हैं, तो लैंसडौन वन प्रभाग के जंगलों से बेहतर कोई और जगह नहीं। शीत ऋतु की आहट के साथ ही प्रभाग में अप्रवासी पक्षियों ने दस्तक देनी शुरू कर दी है। पक्षी प्रेमियों को उम्मीद है कि अन्य वर्षों की भांति इस वर्ष भी अप्रवासी पक्षियों का दीदार काफी अधिक होगा।बारटेल्ड ट्री कीपर, ब्राउन फिश आउल, विंग्ड फ्लाई कैचर स्त्राइक, पलाश फिश ईगल जैसे कई अन्य प्रवासी परिंदों ने लैंसडौन वन प्रभाग के जंगलों में चहचहाना शुरू कर दिया है। हिमालय के ऊपरी हिस्सों में बढ़ रही ठंड के चलते विभिन्न प्रजाति के पक्षियों ने लैंसडौन वन प्रभाग को अपना अस्थायी प्रवास बना रहे हैं। नतीजा, प्रभाग के जंगलों में अलग-अलग रंग-रूप के परिंदों के दीदार हो रहे हैं। 

जंगलों में दिख रहे सैकड़ों पक्षियों की प्रजातियां

प्रभाग के जंगलों में रेड बिल्ड लियोथ्रेक्स, स्लेटी ब्लू फ्लाई कैचर, ग्रे-बिल्ड टिसिया, हिमायलन रूबी थ्रोट, ब्राउन डिपर, रूफस जार्जेट फ्लाईकैचर, ग्रे हेडेड केनरी फ्लाई कैचर, ब्राउन हैडेड बारबेट, स्पॉटेड फ्रॉकटेल, ग्रेट हार्नबिल्स, ओरिएंटल पाइड हार्नबिल्स, किंगफिशर की छह प्रजातियां, फिश ईगल, पलाश ईगल, इंडियन स्कोप्स ऑउल, क्रिमिसन सन वर्ड, नटहैच सहित सैकड़ों अन्य पक्षियों की प्रजातियां आसानी से देखी जा रही हैं। ब्लैक स्ट्रोक, मलार्ड, नार्दन शॉवलर, स्नोई ब्राउड फ्लाई कैचर, चेस्टनट हेडेड तिसिया, ग्रीन टेल सन वर्ड, लांग बिल्ड थ्रस, रुबी थ्राट, मरगेंजर, वाब्लर्स सहित कई पक्षी भी जल्द ही प्रभाग के जंगलों में नजर आएंगे। लैंसडौन वन प्रभाग इन दिनों पक्षी प्रेमियों के लिए किसी ‘स्वर्ग’ से कम नहीं। पक्षी जानकार राजीव बिष्ट यह बात बताते हुए कहते हैं कि अन्य स्थानों पर जहां पक्षियों के दीदार मौसम पर निर्भर है, लैंसडौन वन प्रभाग के जंगलों में वर्ष भर पक्षियों का दीदार होता है। बताया कि कोटद्वार में देश के राज्यों से विभिन्न राज्यों से पक्षी प्रेमी पहुंच प्रभाग की कोटद्वार, कोटड़ी व दुगड्डा रेंज में पक्षियों के दीदार कर रहे हैं।

ऐसे पहुंचे गढ़वाल के प्रवेश द्वार कोटद्वार में 

गढ़वाल के प्रवेश द्वार कोटद्वार पहुंचे के लिए दिल्ली से 205 किलोमीटर की दूरी तय कर रेल अथवा बस/कार से कोटद्वार पहुंचा जा सकता था। इसके अलावा कोटद्वार से नजदीकी हवाई अड्डा जौलीग्रांट 121 किलोमीटर दूर है। प्रभाग के जंगलों में इन दिनों पक्षियों की कई ऐसी प्रजातियां मौजूद हैं, जो दुर्लभ श्रेणी में शामिल हैं। यदि प्रभाग में मौजूद पक्षियों के इस अनमोल खजाने से देश-दुनिया को अवगत कराया जाए, तो क्षेत्र में ‘वर्ड वाचिंग’ पर्यटन का बेहतर माध्यम बन सकता है। प्रभाग में इन दिनों अप्रवासी पक्षियों की बहार है। हिमालयी के ऊपरी हिस्सों में बर्फबारी के कारण पक्षी नीचे की ओर आए हैं। इस वर्ष के अंत तक प्रभाग में कई अप्रवासी पक्षी नजर आएंगे।



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