उत्तराखंड

आजादी के बाद से गांव के लोगों को सड़क का इंतजार, ग्रामीण बोले- रोड नहीं तो इस बार वोट नहीं

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पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर नेपाल सीमा से लगे हुए 6 गांव के लोगों ने सड़क की मांग को लेकर आगामी विधानसभा चुनाव के बहिष्कार का ऐलान करते हुए अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया है. इस धरने में बच्चे, युवा, महिलाएं और बुजुर्ग सभी शामिल हैं. आजादी के बाद से ही इस क्षेत्र के लोग सड़क का इंतजार कर रहे हैं. लंबे समय के इंतजार के बाद साल 2005 में इस क्षेत्र के लिए सड़क स्वीकृत हुई थी, जो 17 साल बीत जाने के बाद भी पूरी नहीं हो सकी है.

सड़क न होने से लगभग 10 हजार की आबादी प्रभावित हो रही है और ग्रामीणों ने नाराजगी जताते हुए चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया है. देश की सेवा करते हुए 1965 की लड़ाई में शहीद हुए नंद किशोर भट्ट का गांव है बेलतड़ी, जहां के कई युवा भारतीय सेनाओं में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, तो वहीं गांव में मूलभूत सुविधाओं के अभाव में लोग अपनी जान से हाथ धो रहे हैं. यहां बीमार व्यक्ति को डोली के सहारे इलाज के लिए ले जाया जाता है. कई बार गर्भवती महिलाओं को अस्पताल ले जाते हुए रास्ते में ही प्रसव भी हुआ है. सुविधाओं के अभाव में ये गांव अब धीरे-धीरे खाली हो रहे हैं.

इन गांवों में संतरा, केला, सब्जियां, दालें आदि पर्याप्त मात्रा में होती हैं लेकिन सड़क न होने की वजह से ग्रामीणों को इनके उत्पादों का सही मूल्य नहीं मिल पाता है. कई बार किसानों की फसलें खेतों में ही खराब हो जाती हैं, जिससे गांव वालों की आजीविका पर भी संकट मंडरा रहा है.
गांव के बच्चे लंबा कच्चा रास्ता तय करके स्कूल तक पहुंचते हैं, जिससे कठिन रास्ता होने से हादसों का डर भी बना रहता है. जिले में ऐसे कई गांव हैं, जो अभी तक सड़क से वंचित हैं और कई गांव तो मूलभूत सुविधाओं के अभाव में लगभग खाली हो चुके हैं.

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