उत्तराखंड आपदा के बाद : कहीं जमीन कुरेदकर चीजें खोज रहे लोग, कहीं 4 साल की बच्ची की गुल्लक बनी सहारा…
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नैनीताल. आपदा में बेतालघाट तल्लीसेठी के भुवन नेगी का सब कुछ बह गया और अब वह ज़मीन कुरेदकर अपने घर का सामान बीन रहे हैं. मिट्टी पत्थरों के बीच घर की रसोई के बर्तन, कपड़े, टीवी, फ्रिज जैसे तमाम सामान पीड़ितों को ज़मीन के नीचे से मिल रहे हैं. यही नहीं, लोगों की रोजी रोटी चलाने वाली दुकानों की चीज़ें भी ज़मीन में मलबे तले दब गई हैं, जिन्हें लोग खोज रहे हैं. आटा, मसाला और चावल की चक्की के निकान भी मलबे में मिल रहे हैं. सिर्फ भुवन नेगी ही नहीं, बल्कि ब्लॉक में कई लोग इसी तरह से ज़मीन खोद खोद कर घर का बह गया सामान और कुछ तो अपने जीवन भर की कमाई खोजने में जुटे हैं, तो सरकारी मदद न मिलने से भी नाराज़ हैं.
सरकार से मदद कितनी मिल पाएगी?
आपदा पीड़ित नेगी कहते हैं कि उनका सब कुछ इस आपदा में चला गया, लेकिन सरकार के लोग उनके पास तक नहीं आए. रोज़गार का साधन जो भी था, वह भी पानी के साथ बह गया. नेगी कहते हैं कि लाखों का नुकसान हुआ और मायूसी इस बात की है कि सरकार के मानकों के हिसाब से पर्याप्त मदद मिलने की उम्मीद भी नहीं है. नेगी ने मुआवज़ा बढ़ाए जाने की मांग भी सरकार से की. यह कहानी सिर्फ नेगी की नहीं, बल्कि आपदा पीड़ित इलाकों में सैकड़ों, हज़ारों लोगों की है, जो सरकार को मदद की आस में ताक रहे हैं, लेकिन अपनी बदनसीबी से भी वाकिफ हैं.
नैनीताल आपदा के बाद मलबे में घर का सामान ढूंढ़ते लोग.
प्रशासन का दावा, स्थितियां सामान्य हो रही हैं
दरअसल 19 अक्टूबर को ऐसी जलप्रलय आई कि सब पानी में समा गया. कई लोगों के मकान, दुकान बह गए, तो जीवन भर की कमाई भी मिट्टी पत्थरों के साथ पानी बहा ले गया. एक तरफ आपदा पीड़ितों को मूलभूत सुविधाएं देने के सरकारी दावे हैं, तो दूसरी तरफ नेगी जैसे पीड़ितों के बयान. कौश्याकुटौली के एसडीएम रविन्द्र बिष्ट ने कहा कि आपदा पीड़ितों को तत्काल नकद धनराशि दी जा रही है. जिनका सामान बहा है, उन्हें राशन के साथ गैस आदि ज़रूरी सामान दिया जा रहा है. जहां जो दिक्कतें हैं, वहां राहत देने की पूरी कार्रवाई की जा रही है. इन बयानों के बीच मानवीय संवेदनाओं की कहानियां भी सामने आ रही हैं.
4 साल की बच्ची ने खोला अपना खज़ाना
19 अक्टूबर की आपदा में सरस्वती देवी का भी सब कुछ बह गया. तन पर कपड़ों के अलावा कुछ नहीं बचा तो 4 साल की पड़ोसी की बेटी तेजस्विनी सबसे पहले मदद के लिए आगे आई. सरकार से पहले सामने आकर इस नन्ही सी बच्ची ने अपनी गुल्लक से 10,000 रुपये की मदद दी तो पीड़ितों को जीने का हौसला और रास्ता मिल गया. नन्ही तेजस्विनी की फ़ौरी मदद से शुरुआती सहारा तो मिला, लेकिन अब भी इस परिवार को मदद की दरकार है, जिसमें तीन बेटियां हैं. न्यूज़ 18 से बातचीत में तेजस्विनी इतना ही कह सकी कि ‘आंटी को गुल्लक देने के बाद अब उसमें 1 ही रुपया बचा है.’ तेजस्विनी की माँ नीरजा साह ने कहा कि और भी लोगों को मदद के हाथ बढ़ाने की ज़रूरत है.
सरस्वती देवी की मदद के लिए नन्ही तेजस्विनी ने अपनी पूरी गुल्लक दे दी.
कुछ मदद मिली, कुछ की आस
मूल रूप से गंगोलीहाट की सरस्वती देवी अपनी तीन बेटियों और बेटे के साथ गरमपानी में किराये के मकान में रहती थीं. चाय बागान में मेहनत कर घर चला रही सरस्वती देवी का आपदा में कुछ नहीं बचा. छोटी सी बच्ची के सामने आने के बाद पास के ही एक व्यक्ति ने एक कमरा सरस्वती देवी को रहने के लिए दे दिया है. इधर, प्रशासन ने भी राहत के तौर पर कुछ खाने पीने का सामान और गैस की सुविधा सरस्वती देवी को दी है, लेकिन वह कहती हैं कि उनको सर छुपाने के लिए जगह चाहिए. ‘पहले भी मेहनत करके खाया है, आगे भी खा लेंगे. सरकार से उम्मीद इतनी है कि एक घर मिल जाए, ताकि बच्चों का पालन पोषण कर सकूं.’
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