मां संतला मंदिर में दर्शन से प्राप्त होती है संतान की प्राप्ति, औरंगजेब ने भी की थी संतोर गढ़ की चढ़ाई
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संतला देवी मंदिर संतोर
16वीं सदी में अंग्रेज अफसर ने भी पुत्र प्राप्ति के लिए यहां पूजा-अर्चना की थी जिसके एक साल भी बाद ही अंग्रेज अफसर की संतान पैदा हुई थी.
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित संतोर गढ़ में मां संतला देवी मंदिर काफी प्रसिद्ध मंदिर है, जो कि भक्तों की मनोकामना पूर्ण होने के लिए पूरे क्षेत्र में विख्यात है.मान्यता है कि संतान प्राप्ति के लिए यहां अगर कोई दंपति पहुंचता है तो उनकी ईच्छा मां संतला जल्द पूर्ण करती है.
माना जाता है कुछ सैनिक 16वीं सदी में इस मंदिर में पूजा अर्चना करते थे, तो विलियम सेक्सपियर नाम के अंग्रेज अधिकारी ने कौतूहल वश अपने जूनियर से इन सैनिकों के बारे में जानकारी ली तो उसे पता चला सैनिक किसी माता के मंदिर में जाते हैं,जो कि सबकी मुराद पूरा करती है. उसके बाद उस अंग्रेज अफसर ने भी पुत्र प्राप्ति के लिए यहां पूजा-अर्चना की थी जिसके एक साल भी बाद ही अंग्रेज अफसर की संतान पैदा हुई थी. वहीं यहां मंदिर में स्थित वट वृक्ष पर भी लोग धागा बांधकर मुरादें मांगते हैं.
अगर मां संतला के बारे में बताए तो कहा जाता है मां नेपाल की राजकन्या थी. हजारों वर्ष पूर्व माता संतला और उनका भाई संतोर इस स्थान पर नेपाल छोड़कर रहने आए थे. उस समय भारत में मुगलों का अत्याचार हावी था और उस समय के शासक औरंगजेब ने इस किले की चढाई की थी. यहां लंबे समय तक युद्ध चलने के बाद भारी नरसंहार हुआ था और मुगल पराजय हुए थे, लेकिन भारी नरसंहार से दुखी होकर मां संतला और उनके भाई संतोर ने यहां अपने प्राण त्याग शिला का रूप ले लिया.
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