उत्तराखंड

कौशल्या देवी मंदिर में है एक दिव्य गुफा, भगवान राम का बनाया शिवलिंग आज भी मौजूद

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कौशल्या

कौशल्या देवी मंदिर की दिव्य गुफा का प्रवेश द्वार.

कौशल्या देवी मंदिर में एक दिव्य गुफा है, जिसमें कौशल्या देवी भगवती के रूप में विराजमान हैं.

पिथौरागढ़ के हुड़ेती गांव में मां कौशल्या देवी का मंदिर (Kaushalya Devi Temple) स्थित है. यह मंदिर जिले के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है. सड़क से पैदल 400 मीटर की खड़ी चढ़ाई और घने जंगलों के बीच से होते हुए मंदिर के प्रांगण तक पहुंचा जा सकता है. कौशल्या देवी को चमत्कार की देवी भी कहा जाता है. मां कौशल्या के दर्शन से पहले प्याज-लहसुन खाना वर्जित है. इस मंदिर में किसी भी प्रकार की बलि नहीं दी जाती है. यहां फल फूल वाला सादा प्रसाद ही माता को भोग लगाया जाता है.

कौशल्या देवी मंदिर में एक दिव्य गुफा है, जिसमें कौशल्या देवी भगवती के रूप में विराजमान हैं. ऐसी मान्यता है कि भगवान राम की माता कौशल्या ने अपनी कैलाश यात्रा के दौरान इस गुफा में विश्राम किया था और उन्हें इस स्थान पर दिव्य शक्तियों का एहसास हुआ. तब उन्होंने यहां पर मां भगवती की स्थापना कर एक छोटे मंदिर का निर्माण कराया. तभी से इस स्थान को कौशल्या देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है.

30 मीटर तक लंबी इस गुफा के अंदर कई प्रकार की प्राचीन मूर्तियां रखी हैं. गुफा के भीतर एक बड़े पत्थर के रूप में मां कौशल्या की मूर्ति है, जो डेढ़ मीटर लंबी है. देवी की मूर्ति के पास एक शिवलिंग है. बताया जाता है कि भगवान राम ने खुद इस शिवलिंग की स्थापना कर कई दिनों तक यहां उपासना करने के बाद इस क्षेत्र के सभी राक्षसों का विनाश किया था. जिसके बाद उन्होंने कैलाश मानसरोवर की ओर प्रस्थान किया. लक्ष्मण ने माता सीता को गुफा में प्रवेश करने में हो रही परेशानी को देख इसके मुख्य द्वार का निर्माण किया था.

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