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Rajasthan: विधानसभा उपचुनाव की करारी हार के बाद BJP को याद आने लगे पुराने नेता

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जयपुर. राजस्थान में हाल ही में हुए दो विधानसभा उपचुनावों (Assembly by-elections) में बीजेपी को मिली करारी शिकस्त के बाद अब पार्टी में रूठे और पुराने नेताओं को मनाने का दौर शुरू हो गया है. बीजेपी (BJP) के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने पार्टी से दूरी बनाए रखने वाले नेताओं के साथ मेल मुलाकात का दौर शुरू कर दिया है. इसके तहत प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने हाल ही में अपने जयपुर दौरे के दौरान पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल और पूर्व मंत्री घनश्याम तिवाड़ी से उनके घर जाकर मुलाकात की.

विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल उदयपुर संभाग के जनसंघ के जमाने के कद्दावर नेता माने जाते हैं. लेकिन हाल ही में हुए उदयपुर संभाग में की दोनों विधानसभा की सीटों के उपचुनाव में टिकट बंटवारे से लेकर चुनाव प्रचार तक में मेघवाल की अनदेखी की गई. वहीं नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और उनके के बीच लगातार ‘कोल्डवार’ की स्थिति बनी हुई है. कैलाश मेघवाल वसुंधरा राजे के करीबी नेता माने जाते हैं. हाल में सितंबर माह में मेघवाल ने केन्द्रीय नेतृत्व को पत्र लिखकर कटारिया और प्रदेश नेतृत्व पर हमला बोला था. उसके बाद दोनों उपचुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा.

उदयपुर संभाग के राजनीतिक मसलों पर मेघवाल बोले नो कमेंट्स
मेघवाल और अरुण सिंह के बीच डेढ़ घंटे तक चली बातचीत के दौरान विधायक कालीचरण सराफ वहां मौजूर रहे. वे अरुण सिंह के मेघावल के घर पहुचने से पहले ही वहां पहुंच गए थे. कैलाश मेघवाल ने कहा कि अरुण सिंह से पार्टी के संगठनात्मक मुद्दों पर चर्चा हुई है. इसमें प्रदेश बीजेपी के संगठन में बेहतर सुधार की बातचीत हुई. लेकिन जब मेघवाल से उदयपुर संभाग के मामलों और हाल ही में हुए दो उपचुनाव में पार्टी को मिली करारी हार समेत पिछले दिनों वायरल हुये उनके लेटर बम के मामलों को लेकर सवाल किया गया तो उन्हें सीधे कहा ‘नो कमेंट़्स’.

अरुण सिंह पहली बार पहुंचे तिवाड़ी के घर
बीजेपी प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह चाय के बहाने पार्टी के पूर्व में दिग्गज नेता रहे घनश्याम तिवाड़ी के घर पर भी पहुंचे. असल में तिवाड़ी का जुड़ाव पार्टी से जनसंघ के जमाने से रहा है. लेकिन साल 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद से ही राजे और तिवाड़ी के बीच ठन गई थी. हालात यहा तक आ पहुंचे कि विधानसभा में तिवाड़ी ने पार्टी को कई मर्तबा मुश्किल खड़ी की. बाद में नाराज होकर तिवाड़ी ने अलग पार्टी बना ली. उनकी पार्टी ने 2018 के विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन वह कोई सीट नहीं जीत पाई.

फिलहाल तिवाड़ी सक्रिय नहीं हैं
बाद में तिवाड़ी ने कांग्रेस का दामन लिया. लेकिन वहां भी उनकी पटरी नहीं बैठी. आखिरकार तिवाड़ी की बीजेपी में वापसी हुई लेकिन उन्हें कोई सक्रिय भूमिका नहीं मिली. माना जा रहा है कि बीजेपी प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह और तिवाड़ी के बीच भले ही पहली बार शिष्टाचार मुलाकात रही हो लेकिन कयास इस बात के लगाए जा रह है कि सिंह का इस तरह से तिवाड़ी से मिलना इस बात का तो संकेत नही है कि आने वाले दिनों में तिवाड़ी को पार्टी सक्रिय भूमिका की जिम्मेदारी मिले.

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