पत्रकारों के लिए चीन ने बनाई दुनिया की सबसे बड़ी जेल! ड्रैगन की कैद में बंद हैं 127 जर्नलिस्ट
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बीजिंग. भारत मे अक्सर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात की जाती है कि अगर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को जब दबाया जाता है तो सबसे ज्यादा असर मीडिया जगत पर पड़ता है. लेकिन दुनिया में एक देश ऐसा भी है जिसे आप मीडिया या पत्रकारों की सबसे बड़ी जेल भी कह सकते हैं. जहां वर्तमान में 127 से ज्यादा पत्रकार जेल में बंद है. यह दुनिया के सबसे बड़ा बंदी बनाने वाला राष्ट्र कोई और नहीं चीन है. जहां राष्ट्रपति ने पत्रकारों के उत्पीड़न की नई इबारत लिखी है. यह खुलासा एक पत्रकारिता की वकालत करने वाले एक प्रमुख समूह रिपोर्टर्स विदाउड बॉर्डर्स (आरएसएफ) की एक रिपोर्ट में किया गया है.
पेरिस स्थित आरएसएफ ने चीन में पत्रकारिता के पीछे की ओर छंलाग शीर्षक से प्रकाशित इस रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि सूचना के अधिकार को दबाने के लिए सत्तासीन सरकार द्वारा अभियान चलाया गया है. रिपोर्ट बताती है कि चीन में पत्रकारिता के मायने जनता को जानकारी उपलब्ध कराने वाले माध्यम से नहीं है, बल्कि ऐसे माध्यम से हों जो सरकार के प्रोपेगैंडा का प्रचार करता हो. रिपोर्ट में हांगकांग में प्रेस की स्वतंत्रता के बिगड़ने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है, जो कभी प्रेस की स्वतंत्रता का एक आदर्श था, अब राष्ट्र सुरक्षा के नाम पर पत्रकारों की गिरफ्तारी लगातार बढ़ती जा रही है. 42 पेजों की रिपोर्ट बताती है कि किस तरह चीन में पत्रकारों को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के नाम पर कैद किया गया है क्योंकि वह शिनजियांग पर रिपोर्टिंग कर रहे थे जहां लाखों अल्पसंख्यकों को उच्च सुरक्षा कैंप में कैद करके रखा गया है.
कोविड पर रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार भी गिरफ्तार
जिसे सरकार व्यवसायिक प्रशिक्षण संस्थान बताती है. रिपोर्ट के मुताबिक करीब दस पत्रकार और ऑनलाइन टिप्पणीकार 2020 में वुहान मे कोविड पर रिपोर्टिंग करने की वजह से गिरफ्तार किए गए थे. यह वही जगह है जहां सबसे पहले कोरोना वायरस फैलना शुरू हुआ था. यही नहीं अक्टूबर 2019 में सभी चीनी पत्रकारों को एक स्मार्टफोन ऐप, स्टडी जी, स्ट्रेंथ दि कंट्री का अनिवार्य इस्तेमाल करने के आदेश दिए गए है. यह ऐप निजी डाटा को एकत्र कर सकता है. इसके अलावा प्रेस कार्ड हासिल करने के लिए या उसके नवीनीकरण के लिए पत्रकारों को शी जिनपिंग के विचारों पर केंद्रित एक 90 घंटे के प्रशिक्षण से गुजरना होगा.
स्थानीय पत्रकारों के अलावा चीन में विदेशी पत्रकारों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि निगरानी और वीजा ब्लेकमेल के आधार पर 2020 में 18 पत्रकारों को जबरन देश छोड़ने पर मजबूर किया गया. वहीं चीनी मूल के तीन विदेशी पत्रकार गुई मिन्हाई, यांग हेंगजुन और चेंग लेई को अब जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.
रिपोर्ट कहती है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग 2013 में जब से सत्ता में आए हैं मीडिया संस्कृति का क्रूर अंत हो गया है, और अब वहां माओ युग की शुरुआत हो गई है जहां स्वतंत्र रूप से सूचना पाना एक अपराध है और सूचना प्रदान करना जघन्य अपराध है.
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Tags: China, China government, China govt
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