मां चंडिका घाट मंदिर में भक्तों को मिलता है इंसाफ, देवी खुद करती हैं न्याय!
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चंडिका देवी को मां दुर्गा का ही रूप माना जाता है.
करीब 400 साल पहले मां चंडिका का मंदिर बुंगाछीना के हरदेव में था.
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में मां चंडिका देवी का मंदिर (Maa Chandika Temple Pithoragarh) स्थित है. चंडिका देवी को मां दुर्गा का ही रूप माना जाता है. मार्कण्डेय पुराण के दुर्गा माहात्म्य में इनके कृत्यों एवं स्वरूप का वर्णन किया गया है. मां चंडिका को न्याय की देवी भी कहा जाता है. वह अपनी शरण में आने वाले सभी भक्तों की इंसाफ की मनोकामना को पूरा करती हैं.
कहा जाता है कि करीब 400 साल पहले मां चंडिका का मंदिर बुंगाछीना के हरदेव में था. इसके पास मां महानंदा देवी का मंदिर है. मां चंडिका और महानंदा देवी बहनें हैं. चंडिका के मांसाहार प्रवृत्ति के चलते मां नंदा ने उन्हें यह स्थान छोड़ने का आदेश दिया था. जिसके बाद चंडिका उस स्थान को छोड़कर रामगंगा नदी में बहकर यहां पहुंचीं, जहां आज चंडिका घाट मंदिर है.
बताया जाता है कि उस समय गांव वालों ने मां चंडिका की मूर्ति को नदी से निकालकर एक साफ-सुथरे स्थान पर रख दिया था. जिसके बाद वह मूर्ति उस स्थान से नहीं हिलाई जा सकी. देवी ने गांव के रहने वाले शख्स को सपने में दर्शन दिए और कहा कि वह इसी स्थान पर रहेंगी. तब से मां चंडिका यहीं विराजमान हैं.
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