राष्ट्रीय

Exclusive: तालिबान पर समावेशी सरकार बनाने के लिए भारत डाले दबाव, राजदूत ने पहले इंटरव्यू में कहा

[ad_1]

नई दिल्ली. भारत में अफगानिस्‍तान (Afghanistan) के राजदूत (Ambassador) फरीद मामुन्दजे ने कहा है कि अब अफगानिस्‍तान में मानवीय संकट पैदा हो गया है. लोगों को खाद्य सामग्री, दवाइयों की कमी का सामना करना पड़ रहा है. तकरीबन पांच लाख लोगों ने अफगानिस्‍तान छोड़ दिया है, जो अफगानिस्तान की आबादी का 1% है. देश छोड़ने वाले लोगों में कई डॉक्टर, इंजीनियर शामिल थे. पिछले 4 महीने बहुत बुरा समय रहा. राजनीतिक और वित्तीय रूप से हमारा संपर्क दुनिया से लगभग खत्म हो चुका है.

राजदूत फरीद मामुन्दजे ने काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद पहली बार News18 से एक्सक्लूसिव बातचीत की. उन्‍होंने कहा कि एयरपोर्ट बंद पड़े हैं, हॉस्पिटल में दवाओं की सप्लाई की कमी है और अफगानिस्‍तान की करेंसी बहुत कमजोर हो गई है, साथ ही बेरोजगारी बढ़ रही है. अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के मुताबिक, अगले साल जून तक 98 फीसद लोग अफगानिस्‍तान में गरीबी रेखा से नीचे होंगे. कुल मिलाकर हालात बुरे बने हुए हैं. मामुन्दज़े आज भी रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्‍तान यानी पुरानी सरकार के प्रतिनिधि हैं और 70 देशों में अफगानिस्‍तान के राजदूत आज भी पुराने संविधान में यकीन रखते हैं और उनका तालिबान की सरकार से कोई संवाद नहीं.

सवाल: अफगानिस्‍तान की पिछली सरकार के राजदूतों ने अभी तक तालिबान सरकार के साथ काम करना शुरू नहीं किया है, क्या तालिबान के साथ आपका कोई संवाद है?

जवाब: दुनिया भर में हमारे करीब 70 दूतावास हैं, इन सभी दूतावासों के बीच में संपर्क और सहयोग बना हुआ है. हमें ऐसी सरकार के साथ काम करने पर राजी होंगे जिसको अफगानिस्‍तान की जनता मान्यता देगी. लेकिन अभी तक अफगानिस्‍तान के लोगों ने नई सरकार को स्वीकार्यता नहीं दी है. एक ऐसी सरकार जो समावेशी हो, जिसको क्षेत्रीय देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली हो. हमारी उम्मीद है कि तालिबान एक ऐसी सरकार की तरफ आगे बढ़े जिसमें सारे अफगानिस्‍तान के वर्ग शामिल हों, जिसमें अल्पसंख्यक वर्ग शामिल हो, जिसको अफगानिस्‍तान के लोग कबूल करे. बंदूक के ज़ोर पर, एक फोर्स की हुकूमत को लोग मान्यता नहीं देंगे. हमारे दूतावास भी इनके (तालिबान) साथ काम करने के लिए राजी नहीं होंगे, क्योंकि मेज़बान देशों ने भी तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है.

सवाल: अफगानिस्‍तान को मानवीय सहायता मुहैया कराने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत चल रही है, ताकि पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्‍तान को 50,000 मीट्रिक टन गेंहू और दवाइयां भेजी जा सके. यह राहत कब तक अफगानिस्‍तान पहुंच पाएगी?

जवाब: भारत की मानवीय सहायता को लेकर बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है, कागज़ी कार्रवाई पूरी हो चुकी है. हमारी उम्मीद है कि आने वाले 2 हफ्तों में यह काम शुरू हो जाएगा. भारत हमेशा सही अफगानिस्‍तान की मदद करता आया है. भारत सरकार और भारत के लोगों ने बुरे समय में हमारे साथ दिया है. यह बहुत बड़ी मात्रा में राहत सामग्री है, जिसे अफगानिस्‍तान भेजने में करीब 20 से 30 दिन लगेंगे. उम्मीद करते हैं कि अगले साल जनवरी के अंत तक यह राहत अफगानिस्‍तान के अलग-अलग इलाकों में पहुंच जाएगी.

सवाल: भारत और अफगानिस्‍तान के बीच रिश्ते कई सालों से बहुत मज़बूत रहे हैं. लेकिन अब जब अफगानिस्‍तान पर तालिबान का शासन है, ऐसे में आप, बतौर राजदूत, भारत से क्या उम्मीद करते हैं ताकि लोगों को राहत मिले?

जवाब: हमारा भारत से ऐतिहासिक संबंध है और गहरी दोस्ती है, वह सबसे बढ़कर लोगों के बीच है. पिछले 43 सालों में हमने कई सरकारें देखी, जो बनी और गिरी, लेकिन हमारी दोस्ती भारत से हमेशा रही, और आगे भी रहेगी. बड़े दोस्त होने के नाते हम भारत से उम्मीद करते हैं कि इस मुश्किल समय में हमारे दो मुद्दे हैं, जिस में भारत सबसे ज्यादा मदद कर सकता है.
पहला मानवीय सहायता, जो हमारे लोगों को जरूरत है, और इसमें खाद्य सामग्री, दवाइयां, कोविड वैक्सीन, गर्म कपड़े शामिल है, और यह राहत हमें भारत से चाहिए. दूसरा, हमें भारत से डिप्लोमेटिक और राजनीतिक मदद की जरूरत है, ताकि तालिबान पर दबाव बनाया जा सके कि वह एक समावेशी सरकार बनाने पर राज़ी हो जाए.
रूस, ईरान और पश्चिमी देशों के साथ भारत के बहुत अच्छे संबंध है. भारत ने हमेशा से हमारी मुश्किलों को समझा है. इन बातों को ध्यान में रखते हुए, हमारी भारत से उम्मीद है इस समय में हमें किसी के रहमों करम पर ना छोड़ें, बल्कि कदम उठाएं और हमें समर्थन दें और शांति प्रक्रिया, संवाद को मज़बूत करने में मदद करे. इस क्षेत्र में भारत हमारी सबसे ज्यादा मदद कर सकता है.

सवाल: अफगानिस्‍तान के करीब ढाई हजार छात्र वहां फंसे हुए हैं, उनके वीज़ा रद्द कर दिए गए हैं और दोनों देशों के बीच में कोई फ्लाइट भी नहीं है, ऐसे में भारत सरकार से आप क्या आग्रह करेंगे?

जवाब: जो छात्रा अफगानिस्‍तान में फंसे हुए हैं वह भारत के अलग-अलग विश्वविद्यालयों में पढ़ते हैं. दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक तक के अलग-अलग संस्थानों में यह छात्र पढ़ाई कर रहे थे. भारत ने हमारी सबसे ज्यादा मदद शिक्षा में की है. इन छात्रों के वीजा रद्द करना ठीक बात नहीं थी. मेरा भारत सरकार से यह आग्रह है कि भारत सरकार इन छात्रों को भारत आने की इजाजत दे, ताकि वह अपनी पढ़ाई पूरी कर सके. यह छात्र एक ही रात में तालिबान में शामिल नहीं हुए. एक ही रात में यह सभी तालिबानी नहीं बने और उनके वीजा रद्द करने से बुरा संदेश जाता है. मेरा आग्रह है कि इन छात्रों को राहत मिलनी चाहिए. इन छात्रों का एक सेमेस्टर बर्बाद हो चुका है. एक छात्र के लिए और समय जाया होना, यह बहुत बड़ा नुकसान होता है. इसे एक मानवीय मुद्दा मानकर, इस पर कार्रवाई की जानी चाहिए. हमें उम्मीद है कि यह मसला आने वाले दिनों में हल हो जाएगा.

Tags: Afghanistan, Ambassador, Taliban



[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *