राकेश टिकैत: केंद्र से नाराज किसानों के ‘अगुवा’, जिन्होंने आंसुओं से बदली आंदोलन की तस्वीर
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नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानूनों (Three Farm Laws) का किस्सा अंत करने का ऐलान तो कर दिया, लेकिन दिल्ली की सरहदों पर प्रदर्शन की कहानी बाकी है. यह कहा जा सकता है कि इस कहानी के सबसे बड़े किरदार भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत रहे. शुक्रवार को ऐतिहासिक दिन पर यूपी गेट पर जारी विरोध प्रदर्शन में मौजूद किसानों का ऐसा कोई बयान नहीं था, जिसमें ‘टिकैत बाबा’ का जिक्र न हो. मंच पर भाषण से लेकर रोने तक टिकैत खासे चर्चा में रहे.
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, यूपी गेट पर माना जाता है कि टिकैत के पास ही सभी सवालों के जवाब होंगे. हालांकि, ऐसा भी कई बार हुआ है, जब उनके बयानों ने किसानों को ‘कंफ्यूज’ किया है. इसका उदाहरण है, हाल ही में जब दिल्ली पुलिस ने गाजीपुर सीमा से बैरिकेड्स हटाए, तो प्रदर्शनकारियों को यह नहीं पता था कि आगे क्या करना है. शुक्रवार को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से कानून वापसी का ऐलान किया गया, तो टिकैत महाराष्ट्र के पालघर में थे.
टिकैत को यूपी सरकार की तरफ से नोटिस मिला और उनपर गिरफ्तारी की तलवार भी लटकी. 28 जनवरी को उन्होंने यूपी गेट से ही एक अपील की, ‘मैं आत्महत्या कर लूंगा, हम डटे रहेंगे. हम जगह नहीं छोड़ेगे. मेरी गिरफ्तारी के बाद बीजेपी कार्यकर्ता किसानों को पीटेंगे.’ इसके बाद टिकैत रोने लगे. आंसू बहाते हुए टिकैत की तस्वीर ने एक बार फिर आंदोलन को जीवित करने का काम किया. किसानों के धरना स्थल पर लौटने का यह भी एक बड़ा कारण रहा.
आंदोलन की अगुवाई करने वाला संयुक्त किसान मोर्चा हमेशा टिकैत के साथ सहज नहीं रहा. 52 वर्षीय किसान नेता ने कानून में डिग्री हासिल की थी. उनके बड़े भाई नरेश बीकेयू के अध्यक्ष हैं, लेकिन आंदोलन में वे सहायक की भूमिका में ही रहे. किसान नेता का छोटे बेटे महेंद्र सिंह टिकैत भी रातों-रात विरोध प्रदर्शन का चेहरा बन गए थे.
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यूपी गेट पर टिकैत को तुनकमिजाजी और सहज स्वभाव के साथ किसानों से जुड़ने के लिए जाना जाता है. केवल पश्चिम यूपी ही नहीं वे राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश के किसानों के साथ भी जल्दी जुड़ जाते हैं. एक बार उन्हें खबर हुई कि 90 वर्षीय किसान यूपी गेट पर पहुंचे हैं. यह सुनकर ही टिकैत उनसे मिलने के लिए निकले और उन्हें बाद में पता चला कि बुजुर्ग उनके पिता के साथ काम करते थे. 90 वर्षीय को देखकर टिकैत ने कहा, ‘ताऊ को मैं अपनी पीठ पर लेकर जाऊंगा.’
टीओआई के अनुसार, बिहार के किसान सोमेश्वर सिंह कहते हैं कि विरोध करने वाले उन्हें टिकैत ‘बाबा’ इसलिए कहते थे, क्योंकि वे उनका ध्यान रखते थे. उन्होंने कहा, ‘वे मेरे टेंट में आए थे और मुझसे बिहार के किसानों की परेशानी के बारे में बात की.’ मेरठ यूनिवर्सिटी से एमए की डिग्री प्राप्त करने वाले टिकैत ने साल 2014 में रालोद की टिकट पर अमरोहा से चुनाव लड़ा था. इससे पहले 2007 में वे खतौली सीट से भी विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन दोनों ही चुनावों में वे असफल रहे.
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