पिथौरागढ़ में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल, मरीज पूछ रहे- कब शुरू होगा बेस अस्पताल?
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सीमांत क्षेत्र पिथौरागढ़ में स्वास्थ सेवाएं बदहाल हैं. 5.5 लाख आबादी वाले जिले में स्वास्थ सेवाएं एकमात्र जिला अस्पताल के भरोसे हैं. गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए मरीजों को हायर सेंटर रेफर किया जाता है, जिसमें से कई मामलों में मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. ऐसे में क्षेत्रवासी लंबे समय से बेहतर स्वास्थ सेवाओं की मांग कर रहे हैं, जिसको देखते हुए साल 2005 में तत्कालीन एनडी तिवारी सरकार में बेस अस्पताल को स्वीकृति मिली थी. स्वीकृति के 17 साल बीत जाने के बाद भी अस्पताल शुरू नहीं हो सका है, जिससे आए दिन मरीज इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे हैं.
2005 में स्वीकृत हुआ बेस अस्पताल भी राजनीतिक हलचल का एक अहम हिस्सा रहा था. 2005 में महिला और जिला अस्पताल को संयुक्त करके इसे बेस अस्पताल में बदलने का निर्णय लिया गया. विपक्ष के कड़े विरोध के बाद सरकार को अपना फैसला बदलना पड़ा और अलग से बेस अस्पताल बनाने की कवायद तेज हुई.
जिसके बाद राज्य सरकार ने चंडाक क्षेत्र में भूमि चयन कर बेस अस्पताल का कार्य शुरू कराया. फिर सरकार बदली और फैसला भी बदला गया. चंडाक क्षेत्र शहर से दूर होने के चलते बेस अस्पताल के लिए पिथौरागढ़ से नजदीक पुनेड़ी गांव में 200 नाली जमीन का चयन कर बेस अस्पताल का कार्य पिछले कई साल से चलता आ रहा है और बेस अस्पताल में रखी लाखों की मशीनें जंग खा रही हैं.
सीमांत क्षेत्र होने के कारण पिथौरागढ़ जिला अस्पताल में लोग दूरस्थ इलाकों से इलाज की उम्मीद में यहां पहुंचते हैं लेकिन जिला अस्पताल और महिला अस्पताल में सुविधाओं का अभाव और अस्पताल में भीड़ से गंभीर मरीजों को हायर सेंटर रेफर करना पड़ता है. आपातकालीन स्थिति में कई बार मरीजों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है.
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