उत्तराखंड

आधुनिक दौर में आदिमानवों जैसी जिंदगी, हिमालय की बर्फ में खोजते हैं ‘यारसा गंबो’

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हरि

हरि सिंह साल में 6 महीने चट्टान में अकेले रहते हैं.

हरि सिंह इन्हीं भेड़ पालकों में से एक हैं. वह अपनी भेड़ों के साथ 6 महीने एक चट्टान में अकेले जिंदगी गुजारते हैं.

पिथौरागढ़ के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में कुछ लोगों की जिंदगी को शौक कहे या मजबूरी, यह अंदाजा लगाना मुश्किल है. भेड़ पालकों के जिंदगी जीने के तरीकों पर यकीन नहीं होता है. हिमालय के नजदीक खुले आसमान में चट्टानों के नीचे उनके 6 महीने तक बिना किसी सुविधाओं के रहने की बात हर किसी को हैरत में डाल सकती है, लेकिन यह हकीकत है. हरि सिंह इन्हीं भेड़ पालकों में से एक हैं. वह अपनी भेड़ों के साथ 6 महीने एक चट्टान में अकेले जिंदगी गुजारते हैं.

हरि सिंह के चेहरे पर कोई भी मजबूरी के भाव नहीं दिखते हैं. वह अपनी भेड़ों के साथ आधुनिकता से बहुत दूर प्राकृतिक माहौल में खुशी से अपना जीवन जीते हैं. इन 6 महीनों में हरि सिंह व अन्य लोग दिन भर हिमालय की बर्फ में यारसा गंबो (कीड़ा जड़ी) ढूंढकर इकट्ठा करते हैं, जो इनकी आजीविका का मुख्य स्रोत है.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में यारसा गंबो की कीमत बहुत ज्यादा होती है. इस कीड़ा जड़ी की खास पहचान भी इन्हीं लोगों को होती है, जोकि प्रकृति के साथ रहकर इन्हें उपहार के रूप में मिली है.

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