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खुले में कचरा जलाने के खिलाफ केजरीवाल सरकार की पहल, चलाएगी बड़ा अभियान

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नई दिल्ली. देश की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण (Air Pollution) की रोकथाम के लिए केजरीवाल सरकार (Kejriwal Government) बड़ा अभियान चलाएगी. राज्य के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय के मुताबिक 11 नवंबर से 11 दिसंबर तक एंटी ओपेन बर्निंग कैंपेन (Anti Open Burning Campaign) चलाया जाएगा. गोपाल राय के मुताबिक इस अभियान का उद्देश्य खुले में कचरा जलाने की घटनाओं पर रोक लगाना है. राय के मुताबिक इस अभियान में 10 विभाग की 550 टीमें हिस्सा लेंगी.

दिल्ली सरकार के मुताबिक ये अभियान का पहला चरण होगा. इसके बाद 12 दिसंबर से दूसरा चरण शुरू किया जाएगा. आम आदमी पार्टी ने ट्वीट किया है-दिल्ली में प्रदूषण के 4 मुख्य स्रोत हैं जिनके लिए केजरीवाल सरकार ने लॉन्च किया है- 1.धूल प्रदूषण के लिए धूल विरोधी अभियान. 2.वाहनों से होने वाले प्रदूषण के लिए ‘रेड लाइट ऑन गाड़ी बंद’ अभियान. 3.पराली प्रदूषण के लिए पूसा बायो डी-कंपोजर. 4.अब 1 महीने तक चलने वाला ‘ओपन बर्निंग कैंपेन’.

सर्वे में हुआ बड़ा खुलासा
बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी एवं उसके आसपास के क्षेत्रों में बढ़ते प्रदूषण के बीच एक सोशल मीडिया मंच पर कराये गये सर्वेक्षण में पाया गया है कि इस क्षेत्र में हर पांच परिवारों में से चार परिवार प्रदूषित हवाके चलते एक या अधिक बीमारियों से जूझ रहे हैं. लोकलसर्किल्स द्वारा कराये गये इस सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि 91 फीसदी दिल्ली निवासी मानते हैं कि प्रशासन इस दिवाली पर पटाखों के परिवहन, वितरण एवं बिक्री पर रोक की तामील कराने में पूरी तरह या आंशिक रूप से निष्प्रभावी रहा.

एक बयान के अनुसार सर्वेक्षण के दौरान दिल्ली, गुड़गांव, नोएडा, गाजियाबाद एवं फरीदाबाद के 34000 से अधिक लोगों से जवाब मिले. इनमें 66 फीसदी प्रत्युत्तरदाता पुरूष एवं 34 फीसदी महिलाएं थीं. सर्वेक्षण में उनसे पिछले सप्ताह दिल्ली-एनसीआर में वायु की गुणवत्ता गंभीर होने के बाद उनके सामने उत्पन्न हुई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के बारे में पूछा गया था.

लोग कर रहे मुश्किलों का सामना
16 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्हें गले में खराश या बलगम या दोनों दिक्कत है, अन्य 16 फीसदी लोगों का कहना था कि उनकी आंखों में जलन, गले में तकलीफ है तथा नाक बह रही है जबकि अन्य 16 फीसदी ने कहा कि उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही है.’इस बयान के मुताबिक, सिर्फ 20 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्हें प्रदूषित वातावरण के चलते कोई परेशानी नहीं है.

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