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दिल्‍ली में तैयार हो रहा मिनी इंडिया, सैकड़ों जानवरों के बेघर होने पर लोग जता रहे विरोध

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नई दिल्‍ली. राजधानी दिल्‍ली में बनने जा रहे वंदना पार्क यानि मिनी इंडिया को लेकर स्‍थानीय लोगों के साथ समाजसेवी और संस्‍थाएं विरोध कर रहे हैं. लोगों का कहना है कि इस पार्क के बनने से यहां रह रहे सैकड़ों जानवरों का घर छिन गया है वहीं ज्‍यादातर जानवर इसमें से मारे जा चुके हैं. वैज्ञानिकों की ओर से यहां बायोडायवर्सिटी पार्क बनाए जाने की अनुशंसा किए जाने के बावजूद यहां प्रसिद्ध स्मारकों की प्रतिकृति बनाया जाना सही नहीं है. इसे लेकर लगातार डीडीए के अधिकारियों को पत्र भेजे जा रहे हैं. साथ ही दिल्‍ली सरकार से भी मांग की जा रही है.

दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) की ओर से द्वारका के सेक्टर-20 में 200 एकड़ एरिया में बन रहे इस पार्क में हैदराबाद स्थित चारमीनार (Char Minar), कोलकाता स्थित हावड़ा ब्रिज (Howrah Bridge) और मुंबई स्थित गेटवे ऑफ इंडिया (Gate way of India) की प्रतिकृति बनाने की योजना तैयार की गई है. ताकि लोगों को एक जगह पर भारत के प्रसिद्ध स्‍मारकों की झलक देखने को मिल सके. हालांकि इसके चलते यहां से पुराने जंगल को हटाया जा रहा है. जिसकी वजह से लोगों का कहना है कि इस भारत वंदना पार्क की वजह से सैकड़ों जानवरों का घर छीना जा रहा है.

इस बारे में ग्रीन सर्कल द्वारका के सदस्‍य दीवान सिंह ने न्‍यूज 18 हिंदी से बातचीत में बताया कि दिल्ली के द्वारका उपनगर में 200 एकड़ मे फैले जंगल तबाह करके मनोरंजन के लिए पार्क बनाया जा रहा है. धीरे-धीरे यहां मौजूद विविध वनस्पति, जड़ी, बूटिया और जीव जन्तु सब खत्म हो रहे हैं क्योंकि कमल के आकार में यहां स्ट्रक्चर तैयार किया जाना है. यहां नकली लालकिला, कुतुब मीनार, चार मीनार, ताज महल सब बनाए जाएंगे. 1700 गाड़ियों की पार्किंग होगी. सरकार को और न ही विभाग को प्रदूषण की कोई चिंता नहीं है.

सिंह कहते हैं कि इस जंगल में कुछ समय पहले तक करीब 27 नीलगाय थीं, कई जोड़े गीदड़ थे, कछुए, खरगोश, नेवले, रेप्‍टाइल्‍स, 100 से ज्‍यादा मोर, 49 से ज्‍यादा प्रजातियों वाले पक्षी थे, इसके साथ ही एक बड़ा तालाब भी था. यह द्वारका का प्राकृतिक जंगल था लेकिन इसे उजाड़कर यहां आर्टिफिशियल चीजें बनाई जा रही हैं. जबकि दिल्‍ली यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इसे बायोडायबर्सिटी पार्क में कन्‍वर्ट करने की मांग की थी, इस संबंध में उन्‍होंने एक रिपोर्ट भी दी थी. इसके बावजूद यहां प्रोजेक्‍ट को शुरू किया जा रहा है.

दीवान सिंह कहते हैं कि अपने लिए आवाजें तो सभी लोग उठा लेते हैं लेकिन बेजुबान जानवरों के लिए कोई सोच रहा. उल्‍टा इस जंगल को उजाड़कर यहां पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है. वे कहते हैं कि विकास कार्य किए जाना अच्‍छा है लेकिन एक प्राकृतिक जंगल को उजाड़कर और जानवरों को मरने के लिए छोड़कर किया जाना न तो मनुष्‍यों के लिए बेहतर है और न ही प्रकृति के लिए. इस निर्माण कार्य को रोका जाना चाहिए. इसके लिए स्‍थानीय लोग लगातार विरोध कर रहे हैं. अब आगे विरोध करने के लिए नई रणनीति अपनाई जाएगी.

Tags: Animal, Animal Welfare, Delhi India Gate, Delhi news



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