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OMG! 3 महीने की कवायद के बाद साइबर ठगों ने एनआरआई के खाते से उड़ाए 1.35 करोड़, जब 63 बचे तो किया ये काम

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नई दिल्‍ली. देश की राजधानी दिल्‍ली में साइबर ठगी (Cyber ​​Fraud) का बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है. आरोपियों ने करीब तीन महीने की कवायद के बाद एनआरआई के खाते में मौजूद 1.35 करोड़ रुपये निकाल कर खाता खाली कर डाला. हैरानी की बात है कि तकरीबन सभी आरोपी अच्‍छे खासे पढ़े-लिखे हैं. वहीं, इस मामले में दिल्‍ली पुलिस (Delhi Police) की साइबर सेल ने कई आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और उनसे पूछताछ जारी है.

यह मामला राजधानी दिल्‍ली के ओल्ड राजेंद्र नगर का है. एनआरआई कनिका गिरधर के खाते को खाली करने की आरोपियों की साजिश तीन महीने की कवायद के बाद रंग लाई और उन्‍होंने धीरे-धीरे 1.35 करोड़ रुपये उड़ा डाले. यही नहीं, जब पीड़िता के खाते में महज 63 रुपये ही बचे तो आरोपियों ने उसे निकालने के लिए एनआरआई के खाते में 37 रुपये जमा कराए और फिर एटीएम से 100 निकाल कर खाता खाली कर दिया. इस तरह आरोपियों ने कनिका के खाते से पाई-पाई निकाल ली. बता दें कि एटीएम से 100 रुपये से कम नहीं निकलते हैं.

ऐसे शुरू हुआ एनआरआई के खाते को खाली करने का खेल
दिल्‍ली के ओल्ड राजेंद्र नगर की आईसीआईसीआई बैंक में एनआरआई कनिका गिरधर (NRI Kanika Girdhar) का खाता है. यहां काम करने वाले बैंक कर्मचारी सुमित पांडेय को पता था कि कनिका ने अपने खाते में एफडी करवाई हुई है. जबकि उसके खाते में ज्‍यादा हलचल नहीं होती थी, लिहाजा साइबर फ्रॉड की संभावना दिखी. सुमित ने इस बात की जानकारी साइबर गैंग के सरगना शैलेंद्र प्रताप सिंह को दी और इसके बाद ठगी का प्‍लान तैयार किया. यही नहीं, शैलेंद्र कमिशन पर लोगों के खाते बैंक में खुलवाता था.

90 दिन बाद मिली पहली सफलता और फिर करोड़ों पार
आरोपियों ने सबसे पहले एनआरआई कनिका के खाते से जुड़े मोबाइल नंबर का पता किया, तो वह 90 दिन तक बंद रहने की वजह से किसी दूसरे को ट्रांसफर कर दिया गया था. सबसे पहले साइबर ठगों ने किसी प्रकार उस नंबर को हासिल किया. इसके बाद गैंग के सरगना शैलेंद्र ने नीलम नामक एक महिला को बैंक में कनिका बनाकर पेश किया और बैंक से दूसरा एटीएम और चेकबुक निकलवाकर एफडी को तुड़वा दिया गया. वहीं, इस ठगी को अंजाम देने के लिए शातिर शैलेंद्र ने फरीदाबाद में एक फर्जी कंपनी का गठन किया और बैंक में 10 मजदूरों को भर्ती कराकर उनके बैंक खाते खुलवा दिए. इसके बाद ऑन लाइन ट्रांजेक्शन और चेक की मदद से रकम को धीरे-धीरे इन मजदूरों के खातों में ट्रांसफर कर लिया गया.जबकि बैंक में कनिका का भाई बनकर गए आदर्श जायसवाल और जगदंबा प्रसाद ने इन मजदूरों के खाते से एटीएम के जरिये पैसे निकालने का काम किया. इस तरह कुछ दिन में पूरा खाता खाली कर दिया.

पढ़े-लिखे हैं आरोपी
अब तक पुलिस की गिरफ्त में आया बैंक कर्मचारी सुमित पांडेय बीकॉम पास है, जो कि गाजियाबाद का रहने वाला है. जबकि इस गैंग सरगना शैलेंद्र प्रताप सिंह दिल्ली का रहने वाला है और उसने दिल्ली विश्वविवद्यालय से एमकॉम किया हुआ है. वहीं, नीलम नाम की महिला एमएड है और वह हरियाणा के सोहना की रहने वाली है. यही महिला मास्‍टरमाइंड शैलेंद्र के कहने पर कन‍िका बनी थी. जबकि जगदंबा प्रसाद पांडेय संस्कृत से ग्रेजुएट है और वह यूपी के मऊ का रहने वाला है. वहीं, कनिका के भाई की भूमिका निभाने वाला आदर्श जायसवाल भी अच्‍छा खासा पढ़ा लिखा है और यूपी के आजमगढ़ का रहने वाला है.

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