Politics of Uttarakhand : अपनी सीट में ही उलझे कांग्रेस के सभी कार्यकारी अध्यक्ष, BJP कर रही है कटाक्ष
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हल्द्वानी. चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही उत्तराखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष अपनी-अपनी दावेदारी में उलझते हुए नज़र आ रहे हैं. कांग्रेस के चार कार्यकारी अध्यक्ष तिलकराज बेहड़, रंजीत रावत, जीतराम और भुवन कापड़ी हैं, जिन्हें पार्टी ने अपने मुख्यालय से लेकर गढ़वाल-कुमाऊं और पहाड़ से मैदान तक की ज़िम्मेदारी दे रखी थी. अब ये चारों प्रदेश से ज्यादा अपनी विधानसभाओं में फंसे दिख रहे हैं. हालांकि पार्टी इनसे अच्छी-खासी उम्मीद लगाए बैठी थी. पूर्व पीसीसी चीफ और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता यशपाल आर्य के मुताबिक कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का निर्णय पार्टी ने बहुत सोच समझकर लिया था.
आर्य के मुताबिक चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाने के लिए क्षेत्रीय, जातीय समीकरणों के साथ ही इन नेताओं के कद का भी ध्यान रखा गया. पार्टी को उम्मीद है कि विधानसभा चुनावों में इसका फायदा मिलेगा. हालांकि कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष वाली व्यवस्था को लेकर बीजेपी लगातार निशाना साध रही है. बीजेपी के पूर्व प्रदेश महामंत्री गजराज बिष्ट कहते हैं कि उत्तराखंड जैसे 70 विधानसभा सीटों वाले छोटे पर्वतीय राज्य में विपक्ष को प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही चार-चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाने पड़े. ये स्थिति बताती है कि कांग्रेस किस भवर में फंसी हुई है.
‘बिना दांत के शेर हैं कार्यकारी अध्यक्ष’
गजराज ने कटाक्ष के अंदाज़ में कहा कि कांग्रेस को मालूम ही नहीं है कि उसके कार्यकारी अध्यक्षों को करना क्या है? उनकी भूमिका क्या है? यही नहीं, गजराज ने कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्षों को बिना दांत वाला शेर करार दिया, जिनके पास दिखाने के लिए पद है, लेकिन कोई अधिकार या शक्ति नहीं है.
उत्तराखंड में कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्षों की भूमिका को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं.
इन सीटों में उलझे हैं कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष
* ऊधम सिंह नगर से कार्यकारी अध्यक्ष तिलकराज बेहड़, किच्छा विधानसभा सीट से टिकट पाने को आतुर हैं.
* रामनगर से रंजीत रावत के टिकट पर संशय के बादल हैं.
* खटीमा से पुष्कर सिंह धामी के सीएम बनने के बाद भुवन कापड़ी के लिए दांव मुश्किल हो गया है.
* प्रोफेसर जीतराम अपनी सीट थराली से जद्दोजहद कर रहे हैं.
क्या सौंपी गई थीं ज़िम्मेदारियां?
कांग्रेस पार्टी की तरफ से चारों कार्यकारी अध्यक्षों को अलग-अलग ज़िम्मेदारियां सौंपी गई थीं. प्रोफेसर जीतराम को कुमाऊं, रंजीत रावत को गढ़वाल, तिलकराज बेहड़ को तराई-मैदानी इलाके की ज़िम्मेदारी दी गई थी, जबकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के खिलाफ खटीमा से चुनाव लड़ चुके भुवन कापड़ी को कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय के मैनेजमेंट का दायित्व दिया गया था.
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Tags: Uttarakhand Assembly Election 2022, Uttarakhand Congress, Uttarakhand news, Uttarakhand politics
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