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धारणाओं को उलट कर रख देगा पूर्वांचल एक्सप्रेसवे? रखेगा CM योगी की जीत की आधारशिला!

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लखनऊ. उत्तर प्रदेश में नए बने पूर्वांचल एक्सप्रेसवे (Purvanchal e-way) पर लखनऊ से करीब 239 किलोमीटर दूरी पर आपको 6 लेन सड़क के ठीक बीच में मंदिर का एक गुंबद दिखाई देगा. ये आजमगढ़ का राधा कृष्ण मंदिर है. इस पुराने मंदिर को बचाने के लिए यहां पर दो फ्लाईओवर बनाए गए हैं. ये दृश्य आपको चकित करता है. 16 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस एक्सप्रेसवे का उद्धाटन करने वाले हैं. इस एक्सप्रेसवे की वजह से लखनऊ से गाजीपुर की दूरी महज चार घंटे में तय की जा सकेगी.

लखनऊ से चलने पर अयोध्या जाने के लिए टर्न 80 किलोमीटर पर है तो गोरखपुर जाने के लिए टर्न 191 किलोमीटर पर है. वहीं वाराणसी जाने के लिए 294 किलोमीटर बाद एक टर्न बनाया गया है. एक्सप्रेसवे पर बिहार की राजधानी पटना की दूरी प्रदर्शित करने के लिए साइन बोर्ड भी लगाए गए हैं जो चुनाव से पहले ‘राजनीति एकता’ को प्रदर्शित करते हैं. दरअसल बिहार में भी इस वक्त बीजेपी और जेडीयू के गठबंधन वाली सरकार है.

इस एक्सप्रेसवे की वजह से अब दिल्ली से गाजीपुर की दूरी अब महज दस घंटे में तय की जा सकती है. इसके लिए नोएडा से आगरा, फिर आगरा से लखनऊ और इसके बाद लखनऊ से पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का रूट लेना होगा.

कई तरह की सुविधाओं से लैश
ये एक्सप्रेसवे 120 किमी/घंटा की रफ्तार के लिए डिजाइन किया गया है लेकिन अभी इस पर 100 किमी/घंटा की रफ्तार से चला जा सकता है. लखनऊ के चंदसारी गांव से एक्सप्रेसवे पर चढ़ने के बाद ड्राइविंग का एक्सपीरियंस शानदार है. एक्सप्रेसवे के लिए काम कर रहे एक इंजीनियर ने न्यूज़18 को बताया-इस एक्सप्रेसव पर यात्रा का अनुभव शानदार है क्योंकि इन्हें अच्छी तरह डिजाइन किया गया है. सड़क बनाने और रात की यात्रा सुरक्षित बनाने के लिए अतिरिक्त मेहनत की गई है.

दरअसल 16 नवंबर के उद्घाटन कार्यक्रम के पहले पूरे एक्सप्रेसवे को ‘लास्ट टच’ देने का काम तेजी से चल रहा है. कोई भी फ्यूल स्टेशन, टॉयलेट और रिफ्रेशमेंट प्वाइंट अब तक पूरे नहीं हैं. इसलिए बेहतर यात्रा के लिए किसी व्यक्ति को खाना, पानी साथ लेने के साथ ये भी देखना होगा कि गाड़ी का टैंक फुल है या नहीं.

आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे की तुलना में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे में सुरक्षा फीचर बढ़ाए गए हैं. यात्रा के दौरान 900 जगहों पर सोलर सुविधा से लाइटिंग की व्यवस्था की गई है. इसकी वजह से रात में इस एक्सप्रेसवे पर यात्रा ज्यादा सुरक्षित रहेगी.

राजनीतिक महत्व
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कहना है कि पूर्वांचल एक्सप्रेसवे उनका प्रोजेक्ट है जिसका क्रेडिट योगी आदित्यनाथ लेना चाहते हैं. उनका कहना है कि योगी सरकार ने सिर्फ इस प्रोजेक्ट का नाम बदला है. वहीं योगी सरकार के अधिकारियों का कहना है कि प्रोजेक्ट की 2017 में रिटेंडरिंग की गई थी. पीएम ने 2018 में इसकी आधारशिला रखी. और कोरोना के बावजूद इसे साढ़े तीन साल में पूरा कर दिया गया.

ये एक्सप्रेसवे 9 जिलों से होकर गुजरता है. पूर्वांचल में कनेक्टिविटी लोगों के लिए बड़ा मुद्दा रहा है. हालांकि यूपी में कोई भी सीएम ऐसे बड़े प्रोजेक्ट्स बनवाकर चुनाव नहीं जीत पााया है. मायावती और अखिलेश यादव इसके उदाहरण हैं. इसके अलावा बीते दशकों के दौरान यूपी में कोई भी सीएम लगातार दो बार चुनाव नहीं जीता है. लेकिन इसके बावजूद सीएम योगी आदित्यनाथ पूर्वांचल एक्सप्रेवे को लेकर पूरी तरह जुटे हुए हैं. ये उनकी सरकार की सबसे बड़ी सफलताओं में से एक है.

(पूरी स्टोरी यहां क्लिक कर पढ़ी जा सकती है.)

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