सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में निर्माण कार्य पर फिर लगाया प्रतिबंध, इन मामलों में रहेगी छूट
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नई दिल्ली . सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण को देखते हुए निर्माण कार्यों पर फिर से प्रतिबंध लगा दिया है. कोर्ट ने इलेक्ट्रिकल, कारपेंट्री, इंटीरियर वर्क और प्लंबिंग कार्यों पर छूट दी है. चीफ जस्टिस एनवी रमन, जस्टिस डीवायचंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्य कांत की बेंच ने यह फैसला सुनाया है. उन्होंने केंद्र सरकार, राज्य सरकार और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग से आवश्यक कदम उठाने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 29 नवंबर को होगी. हालांकि 22 नवंबर से दिल्ली और एनसीआर में वायु गुणवत्ता में हुए हल्के सुधार के बाद वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने (air quality management) पहले लगाए गए प्रतिबंध को हटा लिया था.
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को ‘भयावह’ करार दिया था. साथ ही, क्षेत्र में निर्माण एवं तोड़-फोड़ की सभी गतिविधियों तथा कूड़ा-करकट जलाए जाने पर प्रतिबंध लगा दिया था. न्यायालय ने कहा था कि ‘आपात स्थिति से बदतर हालात’ में लोगों को मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता. न्यायालय ने यह भी कहा कि उसके आदेश के बावजूद निर्माण कार्य एवं तोड़फोड़ की गतिविधियां करने वालों पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाए.
दिल्ली NCR में बढ़ते प्रदूषण के मामले में पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के हालात पर चिंता जताई थी. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एन वी रमना ने कहा था की घर में भी मास्क लगाने जैसे हालात बन गए है. कोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार से पूछा था कि प्रदूषण को कम करने के लिए सरकारी फौरी तौर पर और दूरगामी क्या कदम उठा रही है. वहीं, दिल्ली NCR में लगातार खराब होती जा रही हवा को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की आपात बैठक हुई. बैठक में राज्यों और संबंधित एजेंसियों को Graded Response action plan में बताए गए आपात कदम उठाने के लिए पूरी तरह से तैयार रहने को कहा गया है. प्रदूषण फैला रहे पांच मुख्य कारणों की भी पहचान की गई है, जिससे इसे काबू किया जा सके.
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Tags: Air pollution, Supreme Court
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