उत्तराखंड

पत्थर-धातु से नहीं ‘बड़ की लकड़ी’ से बनी है सूर्य देव की मूर्ति, जानिए कटारमल मंदिर की खास बातें

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अल्मोड़ा का प्राचीन कटारमल सूर्य मंदिर 9वीं सदी में कत्यूरी राजाओं ने बनाया था. ओडिशा के कोणार्क मंदिर के बाद इसे देश का दूसरा सबसे बड़ा सूर्य मंदिर माना जाता है. कटारमल सूर्य मंदिर में स्थापित भगवान बड़ आदित्य की मूर्ति पत्थर या धातु की न होकर बड़ के पेड़ की लकड़ी से बनी है, जोकि गर्भ गृह में ढककर रखी जाती है.

इस परिसर में छोटे-बड़े सब मिलाकर 45 मंदिर हैं. पहले इन मंदिरों में मूर्तियां रखी थीं, जिनको अब गर्भ गृह में रखा गया है. बताया जाता है कि कई साल पहले मंदिर में चोरी हो गई थी, जिस वजह से अब सभी मूर्तियों को गर्भ गृह में रखा गया है.

पौष माह के आखिरी रविवार को यहां सूरज की किरणें दीवार के एक हिस्से से होते हुए भगवान सूर्य की मूर्ति पर पड़ती हैं और बड़ आदित्य की पूजा-अर्चना और हवन के बाद विशाल भंडारा कराया जाता है.

मंदिर में भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, लक्ष्मीनारायण, नरसिंह के साथ ही अन्य देवी-देवताओं की प्राचीन मूर्तियां हैं. यहां काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं.

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