दूध घोटाला : पैकेट में था ज़हर! UP की डेयरी से ‘आंचल’ भरकर उत्तराखंड के किसानों से छल के भी आरोप
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नैनीताल. दूध पिएगा तभी बढ़ेगा उत्तराखंड.. यह स्लोगन ज़रूर सुनाई देता रहता है लेकिन हकीकत यह है कि दूध पीना उत्तराखंड के लिए जान का जोखिम हो सकता है. नैनीताल दुग्ध संघ पर सवाल खड़े हुए हैं, जिस पर आरोप है कि उसने दूध के नाम पर ज़हर बेच डाला. खुलासा तब हुआ जब हाईकोर्ट में एक याचिका पहुंची. इस मामले को गंभीर मानकर कोर्ट ने संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर दिए हैं. सिर्फ यही नहीं, खुलासा यह भी हुआ है कि दुग्ध संघ में भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है. संघ के चेयरपर्सन की सदस्यता को लेकर भी सवाल खड़े हुए हैं.
पिला दिया गया अल्कोहल मिला दूध!
नैनीताल दुग्ध संघ और आंचल ब्रांड दूध गंभीर आरोपों के घेरे में आ गया है. आरोप है कि लैब टेस्ट में फेल घटिया दूध राज्य के लोगों को बेचा और पिला दिया गया. 23 अगस्त 2020 से 17 जनवरी 2021 के बीच पहाड़ के दुग्ध उत्पादकों के बजाय यूपी के बिल्सी बदायूं की नीलकंठ डेयरी से 48 कैंटर मानकों के हिसाब से खराब दूध मंगाकर करीब 10 लाख पैकेट के ज़रिये लोगों को पिला डाला. क्वालिटी टेस्ट में फेल दूध की सप्लाई राज्य में कर दी गई. साथ ही ऐसे दूध का पैसा भी यूपी की डेयरी को दे दिया गया.
वहीं इस केस को हाईकोर्ट में लड़ रहे अधिवक्ता सीके शर्मा ने न्यूज़18 को बताया कि 4 महीने में 48 टैंकरों में मगांया गया दूध सभी मानकों पर फेल पाया गया. यहां तक कि अल्कोहल टेस्ट में दूध में अल्कोहल की मात्रा तक पाई गई. शर्मा बताते हैं कि नरेन्द्र कार्की ने याचिका दाखिल कर कहा कि दुग्ध संघ के चेयरमैन को हटाया जाए और जो जांच रिपोर्ट अभी ठंडे बस्ते में है, उसके अनुसार कार्रवाई की जाए.
हाई कोर्ट में यह केस लड़ रहे वकील ने दावा किया कि आंचल दूध सभी मानकों पर फेल पाया गया.
चेयरमैन को लेकर विवाद
सिर्फ दूध का घपला ही नहीं, दुग्ध संघ के चेयरमैन मुकेश बोरा की सदस्यता का मामला भी हाईकोर्ट में सवाल उठाए गए. दूध सप्लायर दीपा देवी के नाम के बजाय अपना नाम फर्जी तरीके से लिखवाकर चैयरमैन बन जाने का आरोप याचिका में लगाया गया है. हांलाकि कोर्ट ने अब सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर तीन हफ्तों के भीतर जवाब फाइल करने का आदेश दिया है. सिर्फ यही नहीं बल्कि चेयरमैन की नियमों के खिलाफ नियुक्ति के बाद दुग्ध संघ में भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे हैं.
सरकारी पैसों के दुरुपयोग के इल्ज़ाम
एक आरोप यह लगाया गया है कि संघ के चेयरमैन बोरा ने नियमों की अनदेखी कर अपने भाई को ही गाड़ी चलाने का ठेके दिए. विभाग में सरकारी पैसों के दुरुपयोग को लेकर एक आरोप यह भी है कि पत्रकारों को उपहार के नाम पर सहकारी डेयरी फेडरेशन के तहत मंगल पड़ाव चादरें खरीदने के टेंडर तक निकाल दिए. सामाजिक कार्यकर्ता जीवन पंत कहते हैं कि जिस पैसे का उपयोग किसानों के हित में होना चाहिए, उसका दुरुपयोग हो रहा है.
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