उत्तराखंड

कुमाऊं की सबसे बड़ी दानी महिला जसुली दताल जब नदी में बहाने लगी थीं अपनी दौलत, तो…

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जसुली

जसुली देवी ने 300 से ज्यादा धर्मशालाओं का निर्माण कराया था.

पति और बेटे की असमय मौत के बाद जसुली देवी ने दान स्वरूप धन को नदी में बहाना शुरू कर दिया था.

पिथौरागढ़ जिले की दारमा घाटी के दांतु गांव में कुमाऊं की महान दानी महिला जसुली देवी शौक्याणी का जन्म हुआ था. धारचूला से लेकर हल्द्वानी तक लगभग 300 धर्मशालाओं का निर्माण करवाने वालीं जसुली दताल के व्यापारी पति के पास अथाह धन था. बताया जाता है कि यह दौलत उनके पति ने बोरों में भरकर रखी थी.

पति और बेटे की असमय मौत के बाद जसुली देवी ने दान स्वरूप इस धन को नदी में बहाना शुरू कर दिया था. उस वक्त कुमाऊं के कमिश्नर सर हेनरी रैमजे का काफिला उस क्षेत्र में पहुंचा और उन्होंने देखा कि एक महिला सोने-चांदी के सिक्कों को नदी में बहा रही है, तब वह फौरन जसुली देवी के पास पहुंचे और इस धन का इस्तेमाल विभिन्न पैदल मार्गों पर धर्मशालाएं बनवाकर जनसेवा में करने की सलाह दी.

जिसके बाद जसुली अम्मा ने अपने सारे धन से धर्मशालाओं का निर्माण करवाया. ये धर्मशालाएं उन मार्गों पर बनाई गईं, जिनसे भोटिया व्यापारी आवागमन किया करते थे. उन्होंने कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर भी धर्मशालाओं का निर्माण करवाया. निर्माण के लगभग 150 वर्षों तक इन धर्मशालाओं का उपयोग होता रहा. 1970 के आसपास सीमांत तक सड़क बनने के बाद ये धर्मशालाएं उपेक्षित हो गईं. अधिकांश धर्मशालाएं अब खंडहर हो चुकी हैं.

रं कल्याण समिति के समन्‍वयक रवि पतियाल ने बताया कि समिति इन धर्मशालाओं की जीर्ण-शीर्ण हालत को सुधारने का प्रयास कर रही है. अभी वर्तमान में पिथौरागढ़ के सतगड़ और काकड़ी घाट के पास धर्मशालाओं की स्थिति को सुधारा गया है. समिति काफी समय से शासन से इन धर्मशालाओं को संरक्षित करने और पुरात्तव धरोहर घोषित करने की मांग करते आ रही है.

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