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पेट्रोल की तुलना में डीजल कारें क्यों देती हैं ज्यादा माइलेज?

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भारतीय कार उपभोक्ताओं के लिए माइलेज हमेशा से एक आकर्षित करने वाली चीज रही है. ग्राहक कार खरीदने के साथ उसकी माइलेज पर विशेष ध्यान देते हैं. ऐसी कारें जो बेहतर माइलेज देती हैं वो भारतीय ग्राहकों की पहली पसंद रही हैं. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि कौन सी कार बेहतर माइलेज देती है. निश्चित तौर पर डीजल इंजन वाली गाड़ियां पेट्रोल इंजन वाली गाड़ियों की तुलना में ज्यादा माइलेज देती हैं. लेकिन ऐसा क्यों? आज हम इसी तथ्य पर चर्चा करेंगे कि आखिर पेट्रोल की तुलना में डीजल इंजन वाली कारें क्यों ज्यादा माइलेज देती हैं.

इस बात को इस तरह समझिए. हुदंई की एक प्रमुख कार मॉडल है ग्रैंड आई10 नियॉज (Hyundai Grand i10 Nios). यह कार पेट्रोल और डीजल दोनों वैरिएंट में उपलब्ध है. यह कार 1.2 लीजट इंजन क्षमता के साथ दोनों वैरिएंट में उपलब्ध है. कंपनी पेट्रोल वर्जन वाली कार में प्रति लीटर 20.7 किमी के माइलेज का दावा करती है वहीं डीजल वर्जन वाली कार में प्रति लीटर 26.2 लीटर के माइलेज का दावा किया गया है. अब सवाल यह है कि समान इंजन क्षमता वाली कार होने बावजूद डीजल वैरिएंट क्यों ज्यादा माइलेज देती है.

डीजल में ज्यादा ऊर्जा
एक इंधन के रूप में डीजल में ज्यादा ऊर्जा होती है. प्रति लीटर डीजल, प्रति लीटर पेट्रोल की तुलना में ज्यादा ऊर्जा पैदा करता है. डीजल में प्रति लीटर 38.6 मेगा जॉलेस (Mega Joules) उर्जा मिलती है जबकि एक लीटर पेट्रोल में केवल 34.8 मेगा डॉलेस यानी एमजी ऊर्जा मिलती है. Mega Joules ऊर्जा को मापने की यूनिट होती है. इसका मतलब यह हुआ कि आपको एक निश्चित मात्रा में पावर हासिल करने के लिए पेट्रोल की तुलना में कम डीजल जलाना पड़ेगा.

डीजल को स्पार्क की जरूरत नहीं पड़ती
डीजल एक ऐसा इंधन है जो पेट्रोल की तरह उच्च ज्वलनशील नहीं होता. हालांकि उच्च तापमान पर यह ऑटो इग्नाइट हो जाता है. यही वह सिद्धांत है जिस पर डीजल इंजन काम करते हैं. डीजल इंजन के सिलेंडर में उच्च अनुपात में हवा कंप्रेश होता है. यह अनुपात करीब 18:1 या 21:1 का होता है. हवा को कंप्रेश किए जाने से हीट पैदा होता है. इस तरह जब सिलेंडर के भीतर का तापमाम 210 डिग्री सेंटीग्रेट से ऊपर जाता है तो सिलेंडर में बहुत थोड़ी मात्रा में डीजल स्प्रे होता है. इस तरह इंजन में इग्निशन पैदा होता है. यही कारण है कि बेहद सर्दी के मौसम में डीजल इंजन को स्टार्ट करने में थोड़ा समय लगता है.

डीजल की कम खपत
डीजल इंजन में सिलेंडर में इंधन को स्प्रे किया जाता है. इस कारण पेट्रोल की तुलना में इसकी कम खपत होती है. दूसरी तरह डीजल की बर्निंग कैपसिटी बेहतर होती है. यह धीरे-धीरे जलता है. इस तरह यह लंबे समय तक जलते रहता है. इस कारण डीजल इंजन उच्च आरपीएम रेंज तक नहीं पहुंचता है. इसी तकनीक को अब पेट्रोल इंजन में भी अपनाया जा रहा है. हुंडई की सोनेटा गाड़ी में पेट्रोल इंजन में यही स्प्रे तकनीक अपनाई गई है, जिससे कि यह बेहतर माइलेज दे सके.

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डीजल कारों की बिक्री घटी
डीजल इंजन में बेहतर माइलेज मिलने के बावूजद ऐसी कारों की बिक्री लगातार कम हो रही है. सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैनुफैक्चरर्स यानी सियाम की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2012-13 में देश में बिकने वाली कुल कारों में डीजल इंजन की हिस्सेदारी 58 फीसदी थी जो अब घटकर 17 फीसदी रह गई है. इसके पीछे मुख्य कारण डीजल के भाव में तेजी है. सरकार ने पेट्रोल के बाद डीजल के भाव को भी नियंत्रण मुक्त कर दिया. इस कारण अब पेट्रोल डीजल के भाव में मुश्किल से 7-10 रुपये लीटर का अंतर रह गया है, जबकि एक दशक पहले तक यह 20-25 रुपये प्रति लीटर था. डीजल के भाव में तेजी और डीजल कारों पर अपेक्षाकृत ज्यादा टैक्स की वजह से ग्राहक बेहतर माइलेज के बावूजद अब पेट्रोल कारों को प्रेफर कर रहे हैं.

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