जैसलमेर में जारी है सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास, 26 नवंबर को होगा समापन
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नई दिल्ली. भारतीय सेना (indian army) कोरोना महामारी के बाद अपने सबसे बड़े सैन्य अभ्यास में जुटी हुई है. इसमें कोस्टगार्ड और बीएसएफ से 30 हजार सैनिक हिस्सा ले रहे हैं. जैसलमेर में चल रहे इस सालाना अभ्यास के अंतिम दिन 26 नवंबर को सीडीएस जनरल बिपिन रावत (cds bipin rawat) और सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे (General MM Naravane) सहित तमाम आला सैन्य अधिकारी मौजूद रहने की सूचना है. इसी दिन करीब 400 पैरा ट्रूपर्स का एक साथ पैराजंप करेंगे. समापन समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defense Minister Rajnath Singh) भी मौजूद रहने वाले थे, लेकिन सूत्रों ने बताया है कि उनका कार्यक्रम किहीं कारणों से टल गया है.
जानकारी में बताया गया है कि भारतीय सेना अरुणाचल हिमाचल में हिमालय की ऊंची पहाड़ी से लेकर गुजरात के क्रीक इलाके, राजस्थान के गर्म रेगिस्तान से लेकर लद्दाख के ठंडे मरुस्थल में अपनी तैयारियों को धार देने में जुटी हुई है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सेना, पाकिस्तान से लगती सीमा हो या फिर चीन से लगती एलएसी सहित सभी इलाके में हर चुनौती का सामना करने के लिए अपने आपको तैयार कर रही है. सेना अभ्यास कर रही है कि कम समय में कैसे ऑपरेशन के लिए सैन्य तैनाती की जाती है? ये सेना का सालाना अभ्यास कार्यक्रम है, जिसे EWT यानी एक्सरसाइज विद ट्रूप्स कहा जाता है. सेना का दक्षिण शक्ति सैन्य अभ्यास अभी भी जारी है, जिसके समापन के लिए खुद रक्षामंत्री राजनाथ जैसलमेर में मौजूद रहेंगे.
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अधिकारियों ने बताया कि यह थियेटर लेवल ट्राई सर्विसेज़ अभ्यास है यानी भारतीय सेना अपने थिएटर कमांड के बनाए जाने से पहले से ही समन्वय बनाकर ऑपरेशन को कैसे अंजाम दिया जाए, उसकी ड्रिल कर रही है. इसमें भविष्य की लड़ाई को लड़ने और जीतने का अभ्यास किया जा रहा है. इस अभ्यास का एक हिस्सा मरुस्थल रण और क्रीक सेक्टर में जारी है. इस पूरे अभ्यास में 30 हजार ट्रूप जिसमें थल सेना, वायुसेना, नौ सेना, कोस्टगार्ड के साथ-साथ बीएसएफ के जवान शामिल हैं. सर क्रीक में कोस्टगार्ड के होवरक्राफ़्ट की फ्लीट, भारतीय सेना को तैनात कर दुश्मन के पोस्ट को ध्वस्त करते नजर आए तो वहीं भारतीय वायुसेना के एमआई-17 से नौसेना के एलीट कमॉडो मारकोस को रबर की जेमिनी बोट पर सेलिदीरिगं करा कर दुश्मन पर हमला करते नज़र आए.
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आर्मी, अमूमन जून-जुलाई में अलग-अलग स्तर पर वॉर गेम का आयोजन करती है. इसमें इन सभी संभावनाओं पर चर्चा होती है और किसी भी हालात में सेना कैसे रिएक्ट करेगी, उसका खाका भी तैयार किया जाता है. इसमें ऑपरेशन की प्लानिंग पहले कागजों पर होती है, जिसके बाद उसे ग्राउंड में इसे सत्यापित करना होता है. अभ्यास के आखिरी दिन करीब 400 पैराट्रूपर्स एक साथ पैराजंप भी करेंगे. साथ ही पैराशूट के ज़रिये कैसे आर्मी का असॉल्ट वेहिकल को वार एरिया में उतारा जाता है और उसके बाद पैराशूट के ज़रिये लैंड कर चुके सैनिक इन वेहिकल को लेकर अपने ऑसॉल्ट के लिये निकल पड़ते हैं, उसका डिमॉस्ट्रेशन किया जाएगा.
इससे पहले लद्दाख में भारतीय वायुसेना ने हर्क्यूलिस के जरिए इस ड्रिल को अंजाम दिया था. इसमें भारतीय वायुसेना के IL-76 , AN-32 और C-17 ग्लोब मास्टर के ज़रिये विंटर स्टॉकिंग का अभ्यास किया था. भारतीय सेना के सेंट्रल सेक्टर यानी की हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भी अभ्यास जारी है. अरूणाचल प्रदेश में 15000 फीट की ऊंचाई पर पिछले हफ्ते से अभ्यास शुरू हुआ है. बहरहाल, पिछले साल में जिस तरह से एलएसी पर तनाव बढ़ा और भारतीय सेना के रेजिमेंट देश के अलग-अलग हिस्सों से तैनात किया गया तो इस्टर्न सैक्टर में भी तैनाती को बढ़ाया गया. भारतीय वायुसेना की मदद और समन्वय ने कम समय में भारतीय सैनिकों के साथ-साथ भारतीय सेना के भारी-भरकम हथियारों को जिसमें टैंक, आर्टेलरी गन, गोलाबारूद और रसद को एलएसी के ऑपरेशन एरिया तक पहुंचाया. ये एक ऐसा ऑपरेशन था जिसे बिना किसी चूक के अंजाम दिया गया और आगे भी ऐसे ही हो इसकी तैयारियां जारी हैं.
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Tags: Cds bipin rawat, Defense Minister Rajnath Singh, General MM Naravane, Indian army
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