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AESA रडार उड़ाएगा दुश्मनों की नींद, चुनिंदा देशों की लिस्ट में शामिल होगा भारत

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नई दिल्ली. भारतीय वायुसेना (Indian Airfoce) स्वदेशी रूप से विकसित रडार – एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन अरै (AESA) का प्रदर्शन करने वाली है. वायुसेना में रडार के शामिल किए जाने के बाद भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा जिनके पास एक फोर्स मल्टिप्लायर है जो इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, लंबी दूरी की मिसाइलें और गाइडेड गोलाबारूद का मुकाबला कर सकता है. इलेक्ट्रॉनिक्स एंड रडार डेवलपमेंट एस्टाब्लिशमेंट (LRDE) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डी शेषगिरी ने इसकी पुष्टि की. उन्होंने कहा कि  AESA रडार 95% स्वदेशी है. इसमें केवल एक इंपोर्टेड सबसिस्टम है.  यह 100 किमी से अधिक की सीमा में आकाश में 50 निशानों को ट्रैक करने और उनमें से चार को एक साथ  इंगेज कर सकता है.  अंग्रेजी अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स के अनुसार अगले पांच साल में वायुसेना के तेजस के सभी 83 लड़ाकू विमानों में यह रडार होगा. एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) द्वारा विकसित भविष्य के जुड़वां इंजन AMCA फाइटर के पास भी ये रडार होंगे.

शेषगिरी के अनुसार, AESA रडार को Su-30 MKI विमान के राडार कोन के साथ-साथ भारतीय सेना के वाहक-आधारित MiG-29 K लड़ाकू विमानों पर लगाया जाएगा. अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा कि ‘पहले से ही, एलआरडीई ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ तेजस एमके I ए पर रडार के प्रमुख इंटीग्रेटर होने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें बीईएल सहित चार विक्रेता सबसिस्टम्स के सप्लायर हैं.’

तेजस के सभी 83 विमानों में लगेंगे यह रडार
अखबार के अनुसार शुरुआती 16 तेजस एमके 1ए विमान इजरायली ईएलएम 2052 एईएसए रडार से लैस होंगे और बाकी स्वदेशी AESA रडार से लैस होंगे. शेषगिरी ने कहा ‘रडार का ट्रायल पहले ही दो तेजस लड़ाकू विमानों के साथ-साथ हॉकर सिडली 800 एग्जीक्यूटिव जेट पर 250 घंटे से अधिक समय तक किया जा चुका है. उत्पादन के लिए तैयार फोर्स मल्टीप्लायर के साथ राडार को अंततः इसी महीने एक उड़ान में प्रदर्शित किया जाएगा.अभी तक अमेरिका, यूरोपीय संघ, इज़राइल और चीन के पास AESA रडार क्षमता है.’

IAF द्वारा संचालित राष्ट्रीय उड़ान परीक्षण केंद्र  ने पहले ही सफल प्रदर्शन परीक्षणों के बाद रडार को हरी झंडी दे दी है. इससे पहले, भारत अपने लड़ाकू विमानों के साथ-साथ स्वदेशी हवाई चेतावनी और नियंत्रण प्रणाली वाले विमानों पर प्राथमिक राडार का उपयोग कर रहा था. फरवरी 2019 में  अगर भारतीय लड़ाकों के पास इंटरसेप्टिंग लड़ाकू विमानों पर एईएसए राडार लगे होते तो बालाकोट हमले में पाकिस्तानी वायु सेना की जवाबी कार्रवाई इस्लामाबाद के लिए और भी घातक हो जाती.

Tags: DRDO, India, Indian Airforce, Rafale jet in indian airforce



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