उत्तराखंड

नहीं रहा उत्तराखंड के बिरमोलीखाल गांव का बेटा, जनरल बिपिन रावत के गम में चाचा का बुरा हाल

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बिरमोलीखाल. देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत का बुधवार दोपहर सभी को यूं अचानक छोड़कर चले जाना, सभी को परेशान कर रहा है. देश का हर व्यक्ति इस बात को समझ नहीं पा रहा कि कैसे यह हादसा हो गया. बुधवार दोपहर हैलीकॉप्टर हादसे में बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत सहित 13 लोगों की मौत हो गई. हादसा इतना भयंकर था कि इसमें सवार लोग कुछ समझ पाते उससे पहले ही उनकी सांसे रूक गईं.

जब से यह खबर आई है तब से ही बिपिन रावत के पैतृक गांव में सन्नाटा पसर गया है. उनके पौड़ी जनपद स्थित गांव बिरमोलीखाल में रहने वाला हर शख्स यह यकीन ही नहीं कर पा रहा है कि उनके गांव का बेटा अब नहीं रहा. पूरे गांव में दिनभर से इस हादसे को लेकर ही चर्चा हो रही है और हर किसी की बिपिन रावत को याद करके आंखें नम हो रही हैं.

इसी गांव में रहने वाले बिपिन रावत के चाचा का भी इस खबर के बाद से बुरा हाल है. दिवंगत जनरल रावत के इस छोटे से पैतृक गांव में उनके चाचा भरत सिंह रावत आज भी अपने परिवार के साथ रहते हैं. इस गांव में केवल उन्हीं का परिवार निवास करता है. रावत ने बताया कि जब यह सूचना मिली वह किसी काम से कोटद्वार बाजार गए हुए थे. उन्होंने बताया कि उनके घर पर आस पास के गांवों के कुछ लोग सांत्वना देने पहुंचे हैं और सबकी आंखें आसुंओं से भरी हुई हैं.

अपने वीर भतीजे को याद करके उनकी आंखें हर थोड़ी देर बाद भर आ रही हैं. उनके चाचा से जब इस बारे में बात की गई तो उनका कहना था कि यह उनके परिवार के लिए तो क्षति है ही साथ ही पूरे देश के लिए भी बड़ी क्षति है. इस बात पर हम सभी अब भी यकीन नहीं कर पा रहे हैं.

70 वर्षीय चाचा ने आगे बताया कि वह आखिरी बार अपने गांव थल सेना अध्यक्ष बनने के बाद अप्रैल 2018 में आए थे. कुछ समय ठहर कर उसी दिन वापस चले गए थे और इस दौरान उन्होंने कुलदेवता की पूजा की थी. उसी दिन उन्होंने अपनी पैतृक भूमि पर एक मकान बनाने का भी मन बनाया था. वे जनवरी में सेवानिवृत्त होने के बाद यहां घर बनाना चाहते थे.

चाचा के अनुसार बिपिन गरीबों के प्रति बड़े दयालु थे और बार बार उनसे कहते थे कि सेवानिवृत्त होने के बाद वह अपने क्षेत्र के गरीबों के लिए कुछ करेंगे ताकि उनकी आर्थिकी स्थिति मजबूत हो सके. उनके मन में ग्रामीण क्षेत्र से हुए पलायन को लेकर भी काफी दुःख रहता था. उनका अपने गांव और घर से काफी लगाव था और बीच-बीच में वह उनसे फोन पर भी बात करते थे. जनरल रावत ने अपने चाचा को बताया था कि वह अप्रेल 2022 में फिर गांव आएंगे. आँखों से बहते आंसुओं को पोंछते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें क्या पता था कि उनके भतीजे की हसरतें अधूरी रह जाएंगी.

गौरतलब है कि यह हादसा तब हुआ जब जनरल रावत कुन्नूर में एक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद वापस सुलूर लौट रहे थे. हेलिपैड से 10 मिनट के दूरी पर घने जंगलों के बीच हैलिकॉप्टर क्रैश हो गया. शुरुआती जानकारी के अनुसार खराब मौसम की वजह से यह हादसा हुआ है.

बुधवार को तमिलनाडु के कुन्नूर में करीब 12 बजकर 20 मिनट पर बिपिन रावत का हैलिकॉप्टर क्रैश हो गया था. इस दौरान उनकी पत्नी मधुलिका रावत भी उनके साथ थीं.

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