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क्या है वो नियम 256 जिसके तहत राज्यसभा के 12 सांसद किए गए निलंबित

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राज्यसभा ने एक निलंबित कार्रवाई में उच्च सदन के 12 सांसदों को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया है. इसमें कांग्रेस, सीपीएम, सीपीआई, तृणमूल के साथ शिवसेना के सदस्य शामिल हैं. वैसे ये पहला मौका नहीं है जबकि सदन में हंगामे के कारण इस तरह की कार्रवाई की गई हो लेकिन ये शायद पहली बार हुआ है कि पिछले सत्र में हंगामे के चलते अगले सत्र में सासंदों पर ये कार्रवाई हुई हो. वैसे संसद में एकसाथ 63 सदस्यों को निलंबित करने का रिकॉर्ड है.

दरअसल राज्यसभा ने एक नोटिस भेजकर सूचित किया कि मानसून सत्र के आखिरी दिन कई दलों से 12 सांसदों ने ना केवल हंगामा किया बल्कि सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ जानबूझकर हिंसा करने की कोशिश की. इसके बाद नियम नियम 256 के अनुसार सदस्यों को सत्र के बाकी बचे समय के लिए निलंबित कर दिया गया.

संसदीय इतिहास में लोकसभा में सबसे बड़ा निलंबन 1989 में हुआ था. सांसद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या पर ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट को संसद में रखे जाने पर हंगामा कर रहे थे. अध्यक्ष ने 63 सांसदों को निलंबित कर दिया था. निलंबित सदस्यों के साथ अन्य 04 सांसद भी सदन से बाहर चले गए.

जानते हैं कि क्या होता नियम 256 जिसके तहत राज्यसभा सांसदों का निलंबन हुआ
1. यदि सभापति आवश्यक समझे तो वह उस सदस्य को निलंबित कर सकता है, जो सभापीठ के अधिकार की अपेक्षा करे या जो बार-बार और जानबूझकर राज्य सभा के कार्य में बाधा डालकर राज्य सभा के नियमों का दुरूपयोग करे
2. सभापति सदस्य को राज्य सभा की सेवा से ऐसी अवधि तक निलम्बित कर सकता है जबतक कि सत्र का अवसान नहीं होता या सत्र के कुछ दिनों तक भी ये लागू रह सकता है.
3. निलंबन होते ही राज्यसभा सदस्य को तुरंत सदन से बाहर जाना होगा

राज्यसभा में नियम 255 के तहत निलंबन कैसे होता है
– अगर सभापति को लगता है कि किसी सदस्य को व्यवहार घोर अव्यवस्थापूर्ण है तो वो उसे राज्य सभा से चले जाने का निर्देश दे सकता है. ये नियम के तहत निलंबन केवल उसी दिन के लिए लागू रहेगा. उसमें उस सदस्य को सदन से बाहर रहना होगा.

क्या ये निलंबन वापस भी हो सकता है
– हां, लेकिन ये भी राज्यसभा के सभापति की मर्जी पर होगा. निलंबित सदस्यों के माफी मांगने पर भी इसे वापस लिया जा सकता है. वैसे संस्पेंशन के खिलाफ प्रस्ताव भी सदन में लाया जा सकता है. अगर ये पास हो गया तो निलंबन खुद ब खुद हट जाएगा.

लोकसभा में निलंबन किस नियम से होता है
– लोकसभा में नियम 373 और 374 के जरिए स्पीकर ये अधिकार हासिल होता है.लोकसभा के नियम नंबर-373 के मुताबिक- अगर लोकसभा स्पीकर को ऐसा लगता है कि कोई सांसद लगातार सदन की कार्रवाई बाधित करने की कोशिश कर रहा है तो वह उसे उस दिन के लिए सदन से बाहर कर सकता है, या बाकी बचे पूरे सेशन के लिए भी सस्पेंड कर सकता है.

नियम 374 क्या कहता है?
अगर स्पीकर को लगता है कि कोई सदस्य बार-बार सदन की कार्रवाई में रुकावट डाल रहा है तो उसे बाकी बचे सेशन के लिए सस्पेंड कर सकता है

सांसदों के सस्पेंशन के कुछ चर्चित मामले
जनवरी, 2019-स्पीकर सुमित्रा महाजन ने TDP और AIADMK के कुल मिलाकर 45 सांसदों को सस्पेंड किया था.
फरवरी, 2014 –सदन में तेलंगाना को अलग राज्य का दर्जा देने या ना देने को लेकर बहस चल रही थी. इसी बीच बवाल करने वाले 18 सांसदों को स्पीकर मीरा कुमार ने सस्पेंड कर दिया था.
मार्च, 1989 –उस वक्त राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे. अनुशासनहीनता के मामले में 63 सांसदों को तीन दिन के लिए लोकसभा से निलंबित किया गया था.

Tags: Rajya sabha, Rajya Sabha MP, Winter Session of Parliament



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